Kaal Bhairav Jayanti 2021: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ पौराणिक ग्रंथों में काल भैरव जयंती के बारे में विशेष उल्लेख किया गया। भारत में सदियों से काल भैरव अष्टमी को उत्साह और श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है। हर साल मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी के दिन काल भैरव जयंती मनाई जाती है। इस साल 27 नवंबर 2021 को काल भैरव जयंती मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यता है कि मार्गशीर्ष अष्टमी को भगवान शिव ने काल भैरव के रूप में अवतार लिया था। ऐसा माना जाता है कि काल भैरव भगवान शिव का उग्र रूप है। इस दिन बाबा काल भैरव के साथ देवाधिदेव शिव और माता पार्वती की भी पूजा अर्चना की जाती है।
इन पांच राशि को जरूर करना चाहिए बाबा भैरव की अर्चना
ज्योतिष के मुताबिक इस समय शनि की अर्धशतक मकर, कुंभ, धनु राशि में और शनि की ढैया मिथुन, तुला राशि में चल रही है। शनि की साढ़े साती और ढैय्या के कारण इन राशि के जातकों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शनि की अर्धशतक से मुक्ति पाने के लिए काल भैरव जयंती के शुभ दिन विधि विधान से भगवान भैरव की पूजा करनी चाहिए।
ऐसे करें बाबा काल भैरव की पूजा
– काल भैरव जयंती के दिन सुबह जल्दी स्नान करना चाहिए।
– काल भैरव मंदिर में भैरव जी की पूजा करनी चाहिए।
– काल भैरव के वाहन कुत्ते को भोजन कराना चाहिए।
– भगवान भैरव को इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल का भोग लगाएं।
– पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान काल भैरव को काशी का कोतवाल माना जाता है।
– भैरव की पूजा करने से राहु ग्रह भी शांत होता है और बुरे प्रभावों के भय का नाश होता है।
– काल भैरव की पूजा करने के साथ भगवान शंकर के साथ-साथ देवी पार्वती और भगवान गणेश की भी पूजा करें।
– आरती करें और भगवान को भोग लगाएं। इस दौरान भगवान को केवल सात्विक चीजों ही चढ़ाना चाहिए।
पौराणिक ग्रंथों में 8 काल भैरव का उल्लेख
स्कंद पुराण के अवंती खंड में बताया गया है कि भैरव के 8 रूप हैं। जिसमें से काल भैरव तीसरा रूप है। शिव पुराण के मुताबिक प्रदोष काल में भैरव शिव के रूप में प्रकट हुए थे। काल भैरव के अलावा 7 अन्य भैरव भी प्रकट हुए थे, जिनका नाम कर्मों और रूपों के पुराणों में बताया गया है। ये अन्य 8 नाम इस प्रकार है –
- रुरु भैरव
- संहार भैरव
- काल भैरव
- असित भैरव
- क्रोध भैरव
- भीषण भैरव
- महा भैरव
- खटवंग भैरव