New variant of coronavirus danger these facts are going to increase the concern: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ कोरोना महामारी का कारण बने सार्स-कोव-2 वायरस ने फिर रूप बदल लिया है। दक्षिण अफ्रीका में विज्ञानियों ने इसके नए वैरिएंट बी.1.1.529 की पहचान की है। वहां सबसे ज्यादा आबादी वाले प्रांत गौतेंग में हाल में कोरोना के बढ़े मामलों के लिए यही वैरिएंट जिम्मेदार पाया गया है। हांगकांग और बोत्सवाना के कुछ पर्यटकों में भी इस वैरिएंट की पहचान हुई है। कुछ दिन पहले तक दक्षिण अफ्रीका में दैनिक मामले 200 से कुछ ऊपर थे। बुधवार को यह संख्या 1,200 और गुरुवार को 2,400 के पार निकल गई।
चिंता बढ़ाने वाले कुछ तथ्य
- बी.1.1.529 वैरिएंट के म्युटेशन ने चिंता बढ़ाई है। इसमें 50 म्युटेशन पाए गए हैं, जो विज्ञानियों के अनुमान से कहीं ज्यादा है। इनमें से कई म्युटेशन इम्यून सिस्टम को प्रभावित करने में सक्षम हो सकते हैं।
- इस वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 30 से ज्यादा म्युटेशन पाए गए हैं, जो डेल्टा से करीब दोगुना है। स्पाइक प्रोटीन की मदद से ही वायरस मनुष्य की कोशिकाओं में प्रवेश करता है। टीके भी स्पाइक प्रोटीन को ही निशाना बनाते हैं।
- विज्ञानियों का कहना है कि वैरिएंट में इतने म्युटेशन हैं कि शुरुआती वायरस को ध्यान में रखकर बनाए गए टीकों का प्रभाव इस पर कम हो सकता है।
इसलिए बढ़ गई है चिंता
वायरस के इस नए वैरिएंट को लेकर चिंता इसलिए ज्यादा है, क्योंकि इसके स्पाइक प्रोटीन में करीब 30 म्युटेशन पाए गए हैं। इस कारण से यह तेजी से प्रसारित हो सकता है। ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की शैरन पीकाक ने कहा कि अब तक मिले डाटा बताते हैं कि नया वैरिएंट ज्यादा संक्रामक है। हालांकि इस बात को जानने में अभी वक्त लगेगा कि मौजूदा टीके इस वैरिएंट पर कितने प्रभावी हैं। अभी इस बात का भी प्रमाण नहीं है कि नए वैरिएंट से होने वाला संक्रमण ज्यादा घातक है।
ऐसे पनपा नया वैरिएंट
कोरोना वायरस जैसे-जैसे फैलता है, इसके नए वैरिएंट पनपते रहते हैं। इनमें से कुछ वैरिएंट चिंता बढ़ाने वाले होते हैं और बहुत से ऐसे भी होते हैं जो थोड़े समय में ही खत्म हो जाती है। ऐसे में पिछले किसी वैरिएंट से कड़ी जोड़ने के लिए वायरस का विस्तृत अध्ययन करना पड़ता है। दक्षिण अफ्रीका में पाए गए नए वैरिएंट को लेकर विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह किसी ऐसे व्यक्ति में पनपा है, जिसका इम्यून सिस्टम किसी बीमारी के कारण खराब रहा होगा। संभवत: यह वायरस एड्स के किसी मरीज के शरीर में पनपा होगा, जो पर्याप्त इलाज नहीं ले रहा है। माना जाता है कि इंग्लैंड में सामने आया अल्फा वैरिएंट भी ऐसे ही पनपा था।
यात्रा प्रतिबंध कितने प्रभावी?
दक्षिण अफ्रीका में नया वैरिएंट मिलते ही कुछ देशों ने दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया, बोत्सवाना और जिंबाब्वे से आने वाले लोगों को 10 दिन आइसोलेट रहने को कहा है। कुछ देश यात्रा प्रतिबंध पर भी विचार कर रहे हैं। अब तक मिले प्रमाणों के आधार पर जानकारों का कहना है कि नया वैरिएंट जितनी तेजी से फैल रहा है, उसे देखते हुए यह अनुमान मुश्किल है कि प्रतिबंधों से कितना फर्क पड़ेगा। हालांकि निश्चित तौर पर सतर्कता की दिशा में कदम बढ़ाना जरूरी है।
अब आगे क्या?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने विशेषज्ञों का समूह बनाया है, जो दक्षिण अफ्रीका से मिले डाटा का अध्ययन कर यह निर्णय करेंगे कि नया वैरिएंट कितना चिंताजनक है। इसमें दो श्रेणियां होती हैं- वैरिएंट आफ इंटरेस्ट और वैरिएंट आफ कंसर्न।
वैरिएंट आफ इंटरेस्ट : इसमें म्यू और लंबदा वैरिएंट शामिल हैं। इनमें कुछ ऐसे जेनेटिक बदलाव पाए गए जो वायरस की संक्रमण क्षमता और लक्षणों की गंभीरता बढ़ाते हैं। कई देशों में इन वैरिएंट के कारण मामले देखे गए।
वैरिएंट आफ कंसर्न : इसमें अल्फा, बीटा और डेल्टा वैरिएंट को रखा गया है। ये वैरिएंट बहुत आसानी से फैलते हैं, बीमारी को ज्यादा गंभीर बनाते हैं और मौजूदा टीकों का प्रभाव भी कम कर सकते हैं। अब तक डेल्टा वैरिएंट इस वायरस का सबसे संक्रामक वैरिएंट रहा है।