Allahabad high court said oral sex with minor does not fall under aggravated sexual assault in pocso:digi desk/BHN/इलाहाबाद/ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 10 साल के बच्चे के साथ ओरल सेक्स को ‘गंभीर यौन हमला’ नहीं मानते हुए दोषी की सजा को 10 साल से घटाकर सात साल कर दिया। हाईकोर्ट ने इसे पॉक्सो एक्ट की धारा-4 के तहत दंडनीय माना है। वहीं इस मामले में निचली अदालत ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट की धारा 377, 506 और धारा 6 के तहत दोषी करार दिया था। हाई कोर्ट के सामने सवाल था कि क्या नाबालिग के साथ ओरल संबंध पोक्सो एक्ट की धारा 5/6 या 9/10 में शामिल है? जिस पर कोर्ट ने साफ कहा कि यह मामला दोनों में से किसी भी धारा के तहत नहीं आएगा। कोर्ट ने इसे पॉक्सो एक्ट की धारा-4 के तहत दंडनीय अपराध करार दिया है।
आरोपी की सजा घटाई, 5000 रुपए जुर्माना
इलाहाबाद कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में पॉक्सो एक्ट की धारा-6 और 10 के प्रावधानों के तहत सजा नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने ओरल सेक्स मामले में दोषी की 10 साल की सजा को घटाकर 7 साल कर दिया। साथ ही दोषी पर 5000 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
साल 2016 का ये है पूरा मामला
साल 2016 में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि दोषी सोनू कुशवाहा उसके घर आया और 10 साल के बेटे को साथ ले गया और 20 रुपए देकर ओरल सेक्स किया। इस मामले में 2018 में झांसी की एक निचली अदालत ने IPC की धारा 377, 506 और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी करार दिए गए 10 साल की सजा सुनाई थी, लेकिन आरोपी सोनू कुशवाहा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश, पोक्सो एक्ट, झांसी के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। जिस पर हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार ओझा की सिंगल बेंच ने सजा को घटाकर 7 साल कर दिया है।