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Dev Uthani Ekadashi: देवउठनी एकादशी से शुरू होंगे विवाह, मुहूर्त निकालते समय इन बातों रखें ध्यान

Dev Uthani Ekadashi 2021: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी का दिन है। इसे देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि को भगवान विष्णु ने शंखासुर राक्षस का वध किया था। जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

उसी दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। अब देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने का शयन काल पूरा करने के बाद जागते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन से विष्णु सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। इस दिन से सभी तरह के मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। एकादशी के दिन भगवान की पूजा-अर्चना का महत्व है।

देवउठनी एकादशी मुहूर्त

  • – कार्तिक, शुक्ल एकादशी प्रारंभ: 15 नवंबर सुबह 9 बजे
  • – कार्तिक शुक्ल एकादशी समाप्त: 16 नवंबर सुबह 08. 51 बजे

देवउठनी एकादशी मुहूर्त पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। पास के किसी मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन कर प्रसाद अर्पित करें। घर के पूजा घर में साफ-सफाई कर दीप प्रज्वलित करें।
  • देवउठनी एकादशी पर गंगा जल से भगवान विष्णु और तुलसी दल अर्पित करें। इस दिन व्रत रखने और मंत्र (ऊं नमो भगवते वासुदेवाय) का जाप करें।

विवाह मुहूर्त निकालने में इन बातों का रखें ध्यान

1. विवाह का मुहूर्त 10 नक्षत्रों में नहीं निकालना चाहिए। वहीं सूर्य अगर सिंह राशि में गुरु के नवांश में गोचर करें, तब भी शादी नहीं करना चाहिए।

2. शुक्र पू्र्व दिशा में उदित होने के बाद तीन दिवस तक बाल्यकाल में रहते है। इस दौरान वो फल नहीं देते है। इस तरह जब पश्चिम दिशा में होते है, तब 10 दिन तक बाल्यकाव अवस्था होती है। ऐसी स्थिति में विवाह का मुहूर्त निकलवाना सहीं नहीं माना जाता है। वैवाहिक जीवन में मधुरता लाने के लिए शुक्र का शुभ स्थिति में होना जरूरी है।

3. गुरु किसी दिशा में उदित या अस्त हो तब विवाह कार्य संपत्र नहीं करना चाहिए।

4. अगर संतान घर की सबसे बड़ी है। उसका जीवनसाथी भी अपने घर में ज्येष्ठ है। ऐसे विवाह का मुहूर्त ज्येष्ठ माह में नहीं निकलवाएं।

5. एक लड़के से दो सगी बहनों का विवाह नहीं करना चाहिए। न दो सगे भाइयों का विवाह दो सगी बहनों से करना चाहिए।

6. बेटी का विवाह करने के छह सूर्य मासों की अवधि के अंदर सगे भाई का विवाह किया जा सकता है।

 

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