Tuesday , May 21 2024
Breaking News

Skanda Shashti: मंगलवार को स्कंद षष्ठी, जानिये, इस त्योहार की पूजन-विधि और महत्व

Skanda Sashti: digi desk/BHN/उज्जैन/  स्कंद षष्ठी के दिन भगवान स्कंद (lord skanda) की पूजा का खास महत्व है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान स्कंद को मुरुगन, कार्तिकेय (kartikeya) और सुब्रमण्यम के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के मुताबिक ये देवताओं की सेना के सेनापति माने गये हैं। स्कंद षष्ठी हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन कार्तिक माह में इस त्योहार का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि ये तिथि भगवान कार्तिकेय को सबसे अधिक प्रिय है। इसी दिन उन्होंने दैत्य ताड़कासुर का वध किया था। इस बार ये 9 नवंबर, 2021, मंगलवार को मनाई जाएगा। ये त्योहार खास तौर पर तमिल हिंदुओं में बहुत लोकप्रिय है और पूरे भक्तिभाव के मनाया जाता है। भगवान स्कंद को चंपा के पुष्प अधिक प्रिय हैं, इसलिए इसे चंपा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।

स्कंद षष्ठी : क्या है इसकी कथा और महत्व

स्कंद षष्ठी तमिल हिंदूओं में अधिक प्रसिद्ध है। माना जाता है कि अगर कोई भक्त पुत्र प्राप्ति की मनोकामना के साथ स्कंद षष्ठी का व्रत रखता है तो भगवान उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण करते हैं। माना जाता है कि ताड़कासुर के साथ युद्ध पर जाने से पहले, भगवान मुरुगन ने भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए लगातार छह दिनों तक यज्ञ किया था। इसलिए इन छह दिनों को बहुत ही शुभ माना जाता है। सूर्यसंहारम के दिन ही भगवान स्कंद या भगवान मुरुगन ने ताड़कासुर का वध किया था। सूर्यसंहारम दिवस के अगले दिन को तिरुकल्याणम के रूप में मनाया जाता है।

तिथि, समय और पूजन विधि

षष्ठी तिथि 09 नवंबर को सुबह 10:36 बजे से शुरू हो रही है और 10 नवंबर को प्रातः 08:25 बजे समाप्त होगी। ये दक्षिण भारत में उत्साह और बड़ी भक्ति के साथ मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करने के लिए स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। उस दिन सवेरे स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। साथ ही भगवान कार्तिकेय के साथ शिव-पार्वती की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। फिर उनकी पंचोपचार विधि से पूजा की जाती है। भगवान को फल और फूल का प्रसाद चढ़ाया जाता है। शाम के समय फिर से भगवान कार्तिकेय की पूजा कर आरती होती है। छह दिनों के उपवास के बाद, भक्त सूर्यसंहारम के दिन इसका समापन करते हैं। भक्तों का मानना है कि षष्ठी पर प्रार्थना और उपवास से उन्हें भगवान मुरुगन का आशीर्वाद मिलता है।

About rishi pandit

Check Also

शनि के कष्ट को समझें, आने वाला है सुनहरा समय

शनिदेव के बारे में लोगों की नकारात्मक धारणा एवं भ्रम का कारण है, उनका सच्चा …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *