Gai Gohari Parv 2021: digi desk/BHN/ /झाबुआ/मालवा-निमाड़ क्षेत्र के आदिवासी अंचल में दीपावली के अगले दिन गोधन को पूजने के साथ गाय-गोहरी का पर्व मनाया गया। दोपहर तीन बजे से ही गोवर्धन नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। शाम चार बजे गोवर्धन पूजा आरंभ हुई। इसके बाद मन्नतधारी जमीन पर उलटे लेटे और गायों का झुंड उनके ऊपर से गुजरा। इसके बाद भी मनन्तधारी हंसते-हंसते उठ खड़े हुए और उल्लास के साथ पर्व मना। परंपरा कोरोना काल में भी नहीं टूटी।
इस रस्म के लिए गोपालक 30 गायों को सजाकर आयोजन स्थल पर लाए और 3 मन्नतधारियों ने गायों के आगे लेटते हुए मन्नत पूर्ण की। मनन्तधारी जोगड़िया भाई ने बताया कि घर मे मंगल होने की कामना से उन्होंने यह रस्म निभाई और उन्हें कोई परेशानी नही हुई। मन्नत पूर्ण करने के लिए हर साल गाय-गोहरी पर्व आने का इंतजार बना रहता है।
इतिहासकार डॉ. केके त्रिवेदी ने बताया कि झाबुआ के राजा गोपालसिंह गोर्वधन नाथ जी के परम भक्त थे और 1868 में राजस्थान के तीर्थ नाथुद्धारा से श्रीनाथजी की मूर्ति लाकर उन्होंने झाबुआ में गोवर्धन नाथ मंदिर की स्थापना की थी। उसी समय से गोर्वधन पूजा करते हुए गोबर से प्रतीक के रूप में गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है। आस्थापूर्वक गायों को सजाते हुए पूजा में गोपालक लाते और आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए उनके नीचे लेटते। मंगल कामना या अन्य संकल्प पूर्ण होने पर मन्नतधारी हर वर्ष स्वजन की मदद से गायों को अपने ऊपर से निकलवाने लगे और स्थायी रूप से इस परंपरा ने आकार ले लिया। धार जिले के अलावा उज्जैन जिले में कुछ स्थानों पर गाय–गोहरी पर्व मनाया जाता है।