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Dhanteras: धनतेरस पर 8ः35 बजे से 3 नवंबर की सुबह 7ः14 बजे तक त्रिपुष्कर योग का विशेष संयोग, खरीदी के लिए शुभ

Dhanteras 2021: digi desk/BHN/ सनातन धर्म में कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि दो नवंबर मंगलवार सुबह 8ः35 बजे चुकी है, जो तीन नवंबर को सुबह 7ः14 बजे तक रहेगी। यमराज को दीपदान के लिए सायंकाल व्याप्त त्रयोदशी की प्रधानता मानी जाती है। अतः मंगलवार शाम त्रयोदशी तिथि मिलने के कारण दो नवंबर को ही धनतेरस मनाया जाएगा। धनतेरस पर शुभ त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के अनुसार इस दिन सोना-चांदी, स्टील, फूल, पीतल के बर्तन की खरीदारी करना शुभ माना गया है। इस दिन शाम को घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर एक पात्र में अन्न रखकर उस पर यमराज के निमित्त दक्षिणाभिमुख दीपदान करना चाहिए। धनतेरस के दिन यमुना नदी में स्नान का भी विशेष महात्म्य है।

तिगुना फल प्राप्त होता है

धनतेरस के दिन विशेष नक्षत्रों और कालखंड के संयोग से त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इस योग में जो भी कार्य किया जाता है, उसका तिगुना फल प्राप्त होता है। त्रिपुष्कर योग के अलावा अमृत योग भी धनतेरस के दिन बन रहा है। अमृत योग नई चीजों की खरीदारी के लिए उत्तम माना गया है। यह योग धनतेरस के दिन रहेगा।

सूर्य, मंगल और बुध ग्रह धनतेरस के दिन तुला राशि में गोचर करेंगे

इसमें सूर्य, मंगल और बुध ग्रह धनतेरस के दिन तुला राशि में गोचर करेंगे। बुध और मंगल मिलकर धन योग का निर्माण करते हैं। वहीं सूर्य-बुध की युति बुधादित्य योग का निर्माण करेगी। इस योग को राजयोग की श्रेणी में रखा गया है। यह योग तुला राशि में बन रहा है, जो व्यापार की कारक राशि मानी जाती है। मंगल-बुध की युति व्यापार के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।

धनवंतरि की आराधना का महान पर्व है धनतेरस

काशी हिदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार मनुष्य का असली धन उसका स्वास्थ्य है। अतः आरोग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भगवान धनवंतरि का पूजन करना चाहिए। धनवंतरि को सनातन धर्म में आयुर्वेद का प्रवर्तक और देवताओं का वैद्य माना जाता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार पृथ्वी लोक में इनका अवतरण समुद्र मंथन से हुआ था। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवंतरि, चतुर्दशी को काली माता, अमावस्या को भगवती लक्ष्मी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था। इस कारण दीपावली के दो दिन पूर्व त्रयोदशी को भगवान धनवंतरि का जन्मदिवस मनाया जाता है। भगवान धनवंतरि हर प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाते हैं।

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