Dhanteras, Do worship of lord dhanvantari: digi desk/BHN/ धनतेरस के दिन से दीपों के त्योहार का आरंभ होता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं। वह भगवान विष्णु के अंश भी हैं। शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा-अर्चना करने से भक्त को निरोगी रहने का आर्शीवाद मिलता हैं। इस साल धनतेरस 2 नवंबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं पूजा विधि, मंत्र और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
पूजा विधि
सबसे पहले सुबह जल्द उठकर स्नान करें। फिर भगवान धन्वंतरि की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। अब हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें। फिर रोली, अक्षत, पुष्प, और कलावा अर्पित करें। इसके बाद नैवेद्य चढ़ाएं और भगवान धन्वंतरि के मंत्र (ऊं श्री धनवंतरै नमः) का 108 बार जाप करें।
शाम को करें दीपदान
धनतेरस के दिन शाम को दीपदान करना चाहिए। यह दीपदान यमदेवता के नाम पर किया जाता है। इससे परिवार के सदस्यों की रक्षा होती है। इस दीए को घर के मुख्य दरवाजे की दहलीज पर रखा जाता है। शाम को सूर्यास्त के बाद इस दीपक को घर के अंदर से जलाकर लाएं। वह घर के बाहर दक्षिण की ओर मुख करके नाली या कचरे के पास रख दें। फिर मंत्र (मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह, त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यजः प्रीतयामिति) 11 बार बोलें और दीपक के आसपास जल छिड़कें।
दीपदान का शुभ समय
धनतेरस के दिन शाम 06.30 बजे से रात्रि 08.11 बजे तक पूजा और दीपदान के लिए शुभ है।