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आलू 50 तो 70 हुई प्याज, खरीदने में छूट रहे पसीने!

problem:ग्वालियर/आमजनों की हमेशा पहुंच में रहने वाला आलू और प्याज का भाव आसमान छू रहा है। आलू जहां बाजार में 45 से 50 रुपये किलो तो वहीं प्याज भी 70 रुपये किलो पहुंच चुकी है। वहीं आलू की फसल करने वाला किसान भी महंगाई से परेशान है। आलू का जो बीज किसान को 5 रुपये किलो में मिलता था, अब वही बीज 36 रुपये किलो तक पहुंच गया है। इसी वजह से किसानों ने इस साल आलू की फसल भी कम की है। जबकि पुराना आलू खत्म होने पर है और नए आलू की आवक में एक माह की देरी है।

आलू की पैदावार वाले राज्यों में उत्तरप्रदेश, पंजाब प्रमुख हैं। इन दोनों राज्यों में वर्ष 2019 में काफी ज्यादा बारिश हुई थी, इसके कारण पिछले वर्ष आलू की फसल कम हुई थी। इसका असर वर्ष 2020 में सितम्बर माह से दिखाई देने लगा था। आलू जो 5 से 10 रुपये किलो में बिकता था, वह अब पांच गुना महंगा हो चुका है। वर्तमान में बाजार में आलू के भाव 50 रुपये किलो तक पहुंच चुके हैं।

ऐसे हुआ आलू महंगा

लक्ष्मीगंज सब्जी मण्डी के अध्यक्ष महेंद्र सिंह गुर्जर बताते हैं, कि वर्ष 2019 में दीपावली के सीजन तक बारिश हुई थी। इसके कारण उत्तरप्रदेश के अलीगढ़, फरुखाबाद, मेरठ, सहित पंजाब के अधिकांश जिलों में खेतों के अंदर लंबे समय तक पानी भरा रहा। इससे किसान आलू की बुवाई नहीं कर सका। पुराने आलू का भाव अनलॉक तीन तक कम रहा, लेकिन जैसे-जैसे कोल्ड स्टोरेज में आलू कम होता गया भाव बढ़ते गए।

इस साल भी महंगा रहने की आशंका

लक्ष्मीगंज सब्जी मण्डी के मीडिया प्रभारी बल्लू कुशवाह ने बताया कि एक माह बाद नए आलू की आवक प्रारंभ हो जाएगी। जब नए के साथ पुराना आलू चलता है तो भाव कम रहता है, लेकिन अकेले नया आलू आने से यह महंगा रहने की आशंका रहेगी।

 छह गुना महंगा मिला बीज

2019 में आलू की पैदावर कम होने से बीज की पैदावार भी कम हुई। इसके कारण किसान को इस साल 5 रुपये किलो मिलने वाला बीज 36 रुपये किलो के भाव मिला है। एक बीघा जमीन में 600 किलो बीज लगता है, जिससे करीब 2400 किलो आलू की पैदावार होती है। आलू का बीज अधिक महंगा होने के कारण इस साल किसानों ने आलू की फसल बेहद कम की है। किसान को भय रहा है कि अगर इतना महंगा बीज डालेंगे और आलू का भाव कम हो गया तो उन्हें कर्ज चुकाने में सालों लग जाएंगे।

बारिश ने बिगाड़ा प्याज का स्वाद

भारत मंे सबसे अधिक प्याज की खेती महाराष्ट्र में होती है, जबकि मध्यप्रदेश में रतलाम, छिंदवाडा, खंडवा, शाजापुर, सागर, इंदौर में होती है। इस साल इन स्थानों सहित महाराष्ट्र में अधिक बारिश होने से यह फसल कम हुई है।

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