28th NHRC Foundation Day: digi desk/BHN/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 28वें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के स्थापना दिवस कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा भी मौजूद रहे। पीएम मोदी ने कहा, आज भी दुनिया बापू के सिद्धांतों को मान रही है। भारत ने अहिंसा का रास्ता दिखाया है। मानवाधिकार सर्वोपरि है और मूलभूत सुविधाएं शत-प्रतिशत पहुंचाना सरकार का लक्ष्य है। पीएम मोदी ने मानवाधिकार पर राजनीतिक दलों के रवैये पर भी निशाना साधा। पीएम ने कहा, हाल के वर्षों में मानवाधिकार की व्याख्या कुछ लोग अपने-अपने तरीके से, अपने-अपने हितों को देखकर करने लगे हैं। एक ही प्रकार की किसी घटना में कुछ लोगों को मानवाधिकार का हनन दिखता है और वैसी ही किसी दूसरी घटना में उन्हीं लोगों को मानवाधिकार का हनन नहीं दिखता। मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है, राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है। इस तरह का सलेक्टिव व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है।
28th NHRC Foundation Day: मोदी के संबोधन की बड़ी बातें
ये आयोजन आज ऐसे समय हो रहा है, जब हमारा देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हमने सदियों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। एक राष्ट्र के रूप में, एक समाज के रूप में अन्याय-अत्याचार का प्रतिरोध किया। एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया विश्व युद्ध की हिंसा में झुलस रही थी, भारत ने पूरे विश्व को ‘अधिकार और अहिंसा’ का मार्ग सुझाया। ये हम सभी का सौभाग्य है कि आज अमृत महोत्सव के जरिए हम महात्मा गांधी के उन मूल्यों और आदर्शों को जीने का संकल्प ले रहे हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा, मुझे संतोष है कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग भारत के इन नैतिक संकल्पों को ताकत दे रहा है, अपना सहयोग कर रहा है। भारत आत्मवत सर्वभूतेषु के महान आदर्शों, संस्कारों और विचारों को लेकर चलने वाला देश है। आत्मवत सर्वभूतेषु यानि जैसा मैं हूं वैसे ही सब मनुष्य हैं। मानव-मानव में, जीव-जीव में भेद नहीं है। भारत ने लगातार विश्व को समानता और मानव अधिकारों के जुड़े विषयों पर नया विजन दिया है। बीते दशकों में ऐसे कितने ही अवसर विश्व के सामने आए हैं, जब दुनिया भ्रमित हुई है, भटकी है। लेकिन भारत मानवाधिकारों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहा है, संवेदनशील रहा है।
आज देश ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मूल मंत्र पर चल रहा है। ये एक तरह से मानव अधिकार को सुनिश्चित करने की ही मूल भावना है।
क्या है NHRC
बता दें, मानव अधिकारों के प्रचार और संरक्षण के लिए 12 अक्टूबर 1993 को NHRC की स्थापना की गई थी। मानवाधिकारों और हाशिए पर पड़े लोगों की गरिमा की रक्षा करने में NHRC राष्ट्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयोग मानवाधिकारों के किसी भी प्रकार के उल्लंघन का संज्ञान लेता है, पूछताछ करता है और मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में पीड़ितों को मुआवजे के भुगतान के लिए सार्वजनिक अधिकारियों को सिफारिश करता है।