Afghanistan Crisis: digi desk/BHN/ अमेरिका ने 31 अगस्त की डेडलाइन के अंदर अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान खाली करने के बाद मंगलवार को अमेरिका के राष्ट्रपित जो बाइडन ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। इसमें उन्होंने अपने फैसले को सही बताते हुए कहा कि अब अमेरिका किसी भी देश में अपना सैन्य ठिकाना नहीं बनाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अभी भी 100 से 200 अमेरिकी नागरिक अफगानिस्तान में हैं। वो जब बाहर आना चाहेंगे उनकी मदद की जाएगी।
बाइडन ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकियों के निकलने की कोई समय सीमा खत्म नहीं हुई है। जो लोग वहां रह गए हैं और आना चाहते हैं तो वो आ सकते हैं। उनके आने पर कोई रोक नहीं है। 31 अगस्त तक की समय सीमा सैनिकों की वापसी के लिए थी।
सैनिकों की वापसी के अलावा विकल्प नहीं था
अफगानिस्तान में लोगों को निकालने के काम को अभूतपूर्व बताते हुए बाइडन ने कहा कि तालिबानी 2001 से ही मजबूत हो रहे थे। तालिबान ने पांच हजार कमांडरों को जेल से छुड़ाया। हमारे सामने काबुल छोड़ने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं था। अफगानिस्तान से आने के इच्छुक 90 फीसद अमेरिकी नागरिकों को निकाल लिया गया गया है। हालांकि अभी यहां 100 से 200 अमेरिकियों के रह जाने का अनुमान है। इनमें से जो वापस आना चाहेंगे उन्हें भी वापस लाया जाएगा।
1.25 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर निकाला
बाइडन ने कहा कि अमेरिका ने अफगानिस्तान में जो किया उसे भुलाया नहीं जा सकता है। अमेरिका की मौजूदगी में अफगानिस्तान में लंबे समय तक शांति रही। अफगानिस्तान में बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार था। हमारा मिशन कामयाब रहा। हमने दूसरे देशों के राजनयिकों और नागरिकों को भी बाहर निकाला। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका ने सवा लाख से ज्यादा लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकाला। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भागने से काबुल में अराजकता फैली। हमें अमेरिकी हितों के लिए अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा।
कैसी होगी अमेरिका की नई विदेश नीति
बाइडन ने आगे कहा “हम नए तरीके से आगे बढ़ना चाहते हैं। हमारी विदेश नीति देश हित में होनी चाहिए। प्रजातांत्रिक तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। हम महिलाओं और बच्चों के लिए सहायता जारी रखेंगे।” इसके साथ ही उन्होंने इस्लामिक स्टेट-खुरासान को चेतावनी देते हुए कहा कि आइएस से निपटना अभी बाकी है। उन्होंने यह भी कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल अमेरिका के हितों के खिलाफ नहीं हो।