High court news: digi desk/BHN/ इंदौर/ भले ही आरोपी के खिलाफ दर्जनों अपराध दर्ज हों, लेकिन उसे जीने का अधिकार तो है। उसे इस अधिकार से वंछित नहीं किया जा सकता। मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने यह मानते हुए उस आरोपी की जमानत याचिका स्वीकार कर ली जिसके खिलाफ 57 अपराध दर्ज थे।
एडवोकेट मनीष यादव के मुताबिक आरोपी विक्का उर्फ विक्रमसिंह को उसके आपराधिक रिकार्ड को देखते हुए जिला दंडाधिकारी ने दिसम्बर 2020 में छह महीने के लिए इंदौर और उसके जुड़े सात जिलों से जिलाबदर कर दिया था। अप्रैल 2021 में विक्का कोरोना की चपेट में आ गया। मजबूरी में जान बचाने के उद्देश्य से स्वजन उसे मई के पहले सप्ताह में इंदौर ले आए। इलाज के लिए उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पता चला कि संक्रमण 60 प्रतिशत फेफड़ों में फैल गया है।
आरोपी के स्वस्थ्य होते ही पुलिस तुकोगंज ने उसे जिलाबदल के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आरोपी की तरफ से हाईकोर्ट में जमानत याचिका प्रस्तुत की गई थी। उसकी तरफ से तर्क रखा गया कि उसका उद्देश्य जिलाबदर का उल्लंघन करने का नहीं था बल्कि जीवन बचाने के लिए उसे इंदौर लाया गया था ताकि जान बचाई जा सके।
याचिकाकर्ता की तरफ से यह तर्क भी रखा गया कि जब तक कोर्ट उसे मौत की सजा नहीं सुना देती तब तक उसे जीने का अधिकार है। उसने सिर्फ जान बचाने के लिए इंदौर जिले में प्रवेश किया था। कोर्ट ने आरोपी की तरफ से रखे तर्क से सहमत होते हुए जमानत याचिका स्वीकार कर ली।