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The Jungle Book: उमरिया में खूंखार बाघ और निडर ‘मोगली’ की कहानी फिर रचता एक गांव..!

बाघों के बीच बहादुरी दिखा रहे बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच स्थित गढ़पुरी के बच्चे

उमरिया,भास्कर हिंदी न्यूज़/ प्रसिद्ध पुस्तक ‘द जंगल बुक” में खूंखार शेर खान (बाघ) और बहादुर बच्चे मोगली की शह-मात के रोचक किस्सों से मिलती-जुलती कहानी मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच स्थित गढ़पुरी के बच्चों की भी है। वे भी बाघों के बीच बहादुरी दिखा रहे हैं।पिछले तीस साल में न तो यहां बाघ के हमले में किसी ग्रामीण की जान गई और न ही ग्रामीणों ने किसी बाघ को नुकसान पहुंचाया। यहां बाघ और मनुष्य के आपसी संबंधों के अबूझ किस्से भी सामने आते रहते हैं।  रिजर्व के कोर जोन यानी हृदय क्षेत्र में स्थित इस गांव के आसपास एक दर्जन बाघ पाए जाते हैं।

बहुत करीब से देखा बाघ

गढ़पुरी की आबादी 1600 है। बच्चे जंगल की पगडंडियों पर आते-जाते हैं। स्कूल जाने वाले मयकू ने बताया कि उसने तीन बार बाघ को बहुत करीब से देखा है। छठवीं कक्षा के रोहित का पांच बार बाघ से सामना हो चुका है। शायद दोनों ने एक-दूसरे की राह नहीं रोकी और बाघ गुर्राए बिना आगे बढ़ गया। मिट्ठू, साधना और अंकुश जैसे बच्चे बाघों की कद-काठी का वर्णन कर देते हैं।

बाघों के संरक्षण का बेजोड़ उदाहरण, नहीं होता संघर्ष

गढ़पुरी गांव बाघों के संरक्षण का बेजोड़ उदाहरण है। गांव में पशुपालन भी बेहतर स्थिति में हैं। जानवरों को जंगल में भी छोड़ा जाता है। यहां रहने वाले दुलारे बैगा का कहना है बाघ उन्हीं पर हमला करता है जो उसे छेड़ते हैं। बाघ बिना कारण इंसानों पर हमला करते तो गांव खाली हो जाता।

बाघ के साथ रहने के हो चुके हैं आदी

गांव के लोग बाघों के साथ रहने के अभ्यस्त हो गए हैं। सतर्कता से वे बाघ से बचे रहते हैं। उन्हें पता रहता है कि बाघ का मूवमेंट कब-कहां है इसलिए वे उस दिशा में जाते ही नहीं हैं। जंगल से गुजरते समय सीधे चलते हैं और रास्ते में कहीं रुकते नहीं। रास्ते में बैठते या झुकते नहीं हैं जिससे बाघ को उनके चौपाया (जानवर) होेने का भ्रम न हो। गांव के लोग समूह में चलने का प्रयास करते हैं। बच्चे भी समूह में ही स्कूल या कहीं आते-जाते हैं। ऐसे में बाघ से सुरक्षित रहते हैं।

मांगों की वजह से नहीं हो रहे विस्थापित

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के तीन रेंज के दस गांव कोर जोन में हैं। प्रति वयस्क को एक परिवार मानकर 10 के बजाय 15 लाख मुआवजे की पेशकश की जा चुकी है। लोग मुआवजा बढ़ाने और जमीन के बदले जमीन की मांग कर रहे हैं, इसलिए विस्थापन नहीं हो पा रहा है।

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