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Sawan 2021: प्रदेश के इस मंदिर में एक बार में 1111 शिवलिंग का होता है अभिषेक

Sawan 2021: digi desk/BHN/ नलखेड़ा/ नगर से 17 किमी दूर दक्षिण दिशा में स्थित ग्राम गोंदलमहु में भगवान शंकर का एक अद्वभुत मंदिर है। इस मंदिर का नाम एक हजार एक सौ ग्यारह शिवलिंग महादेव मंदिर है। शिवलिंग पर ही 1111 छोटे-छोटे शिवलिंग की आकृतियां उभरी हुई हैं। मंदिर में एक बार अभिषेक करने के 1111 अभिषेक करने का फल मिलता है। ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी होती है।

मान्यता पूरी होने पर भक्तजनों द्वारा मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन भी करवाया जाता है। गांव में निवासरत बुजुर्गों का कहना है कि यहां शिव मंदिर लगभग 600 साल पुराना है, क्योंकि इस गांव को बसे हुए लगभग 600 साल हो चुके हैं। जब से ही उक्त मंदिर यहां पर विराजमान है।

पहले के वक्त में यहां मंदिर काफी छोटा हुआ करता था। ऐसे में एक ही व्यक्ति झुककर मंदिर में प्रवेश कर सकता था। मुश्किल से दो या तीन लोग ही गर्भगृृह में खड़े हो सकते थे। 13 दिसम्बर 1999 में मंदिर का जीर्णोद्वार किया गया। मंदिर का गर्भगृह 13 बाय 13 फिट का है। वहीं जमीन से मंदिर के शिखर की ऊंचाई लगभग 40 फीट है।

दूर-दूर से आते हैं भक्त

महादेव के इस अद्त स्वरूप के दर्शन करने भक्त दूर-दूर से मंदिर में पहुंचते हैं। सावन महीने में अखण्ड रामायण पाठ का आयोजन होता है। वहीं प्रत्येक सावन सोमवार को पुजारी पं. बाबूलाल नागर एवं पं. ललित नागर द्वारा महाअभिषेक किया जाता है। सैकड़ों की संख्या में भक्तजन भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं, वहीं महाशिवरात्रि पर पांच हजार से अधिक भक्तजन मंदिर पहुंचते हैं।

अनोखी मूर्ति है महादेव की

गर्भगृह के बाहर सभी शिव मंदिरों में महादेव का गण भगवान नंदी की प्रतिमा होती है। लगभग सभी शिव मंदिरों में नंदीगण की मूर्ति में एक मुख होता है, लेकिन उक्त 1111 शिवलिंग मंदिर में भगवान महादेव की जो अद्भुत शिवलिंग स्थापित है वहीं उनके गण भगवान नंदी के भी दो मुख हैं। नंदी भगवान के मुख्य मुख के नीचे एक बालक का मुख भी दिखाई देता है। यह मुख किस का है इस बात की जानकारी गांव के लोगों को भी नहीं है, लेकिन ग्रामवासियों का कहना है कि संभवत: ऐसे नंदी की मूर्ति यहीं पर ही है।

प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित है मंदिर

भगवान महादेव का 1111 शिवलिंग मंदिर प्रकृति के सौंदर्य के मध्य स्थित है। मंदिर के पास ही एक बड़ा तालाब है। जहां पर वर्षाऋतु में मंदिर की छटा देखते ही बनती है। मंदिर परिसर में करीब 600 वर्ष पुराना बरगद का पेड़ है ऐसी मान्यता है कि उक्त पेड़ के पास नाग नागिन का जोड़ा आता है। परिसर मे बिल्वपत्र, नीम, पीपल, सहित कई पूज्य वृक्ष हैं।

 

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