India prone to earthquakes: digi desk/BHN/ भारत के कई हिस्से में भूकंपीय घटना अक्सर होती रहती है। उत्तर भारत की अगर बात करें तो यहां पर पिछले एक सप्ताह से कई बार भूकंप आ चुके हैं। जबकि बीकानेर में 5.3 तीव्रता के साथ और हैदराबाद में 4.0 तीव्रता के साथ झटके महसूस किए गए थे। भारत के भूकंपीय मानचित्र से पता चला कि देश का 59% हिस्सा अलग-अलग तीव्रता के भूकंपों से ग्रस्त है। देश के इन भूकंपीय क्षेत्र की जानकारी पृथ्वी विज्ञान मंत्री डाॅ जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में दी। एक लिखित उत्तर में मंत्री ने कहा था कि देश के भूकंपीय जोनिंग मानचित्र के अनुसार क्षेत्रफल को 4 भूकंपीय क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है।
देश का लगभग 11 प्रतिशत हिस्सा V में आता है, 18 प्रतिशत हिस्सा IV में, 30 प्रतिशत हिस्सा III में और बाकी का बचा हिस्सा II में आता है। इन भूकंपीय क्षेत्रों का विभाजन अनुभव्यजन्य भूंकपीय क्षीणन कानून के आधार पर किया गया है, जो भूकंप की ऐतिहासिक भूकंपीयता और जमीनी गतियों से पुष्टि करता है। नेशनल सेंटर फाॅर सीस्मोलाॅजी एक राष्ट्रीय भूकंपीय नेटवर्क है, जिसमें सतह के नीचे की गतिविधियों का पता लगाया जाता है। देश भर में इसके 115 सेंटर हैं जिसके माध्यम से केन्द्रीय और राज्य आपदा अधिकारियों को पूर्वानुमान के तहत इसकी जानकारी दी जाती है।
वो शहर जहां अक्सर भूकंपनुमा हलचल होती रहती है
सबसे सक्रिय जोन V में आने वाले शहर है जिनमें भुज, दरभंगा, गुवाहाटी, तेजपुर, श्रीनगर, सादिया, पोर्ट ब्लेयर, मंडी, कोहिमा और जोरहाट शामिल है। जबकि जोन IV में अल्मोड़ा, जलपाईगुड़ी, कोलकाता, लुधियाना, मुंगेर, मुरादाबाद, पटना, परगना, पीलीभीत, शिमला, रुड़की, अंबाला, अमृतसर, बहराइच, बरौनी, बुलंदशहर, चंडीगढ़, दार्जिलिंग, देहरादून, देवरिया, दिल्ली, दिनाजपुर, गाजियाबाद, गंगटोक और गोरखपुर- शामिल है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन ने कहा था कि NCS ने दिल्ली में प्रमुख भूकंपीय स्त्रोतों या फाॅल्ट लाइनों का पता लगाने और उन्हें चिन्हित करने के लिए IIT कानपुर के सहयोग से दिल्ली और आसपास में एक मैग्नेटोटेलुरिक भूभौतिकीय सर्वेक्षण, उपग्रह इमेजरी की व्याख्या और भूवैज्ञानिक क्षेत्र की जांच शुरू की थी। केन्द्र सरकार बेहतर शहरी नियोजन में डेटा को शामिल करने के लिए भारत में 5 लाख की आबादी वाले शहरों के भूकंपीय माइक्रोजोनेशन पर भी विचार कर रहा है। भूकंप के प्रभावों को कम करने और जानमाल के नुकसान को बचाने के लिए भूकंप जोखिम प्रतिरोधी इमारतों के निर्माण के लिए तरीका उत्पन्न करेेगा।