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Astrology: शनि का ढैया, लग्‍न में राहु, शनि की महादशा, अंतर्दशा के पीछे होते हैं ये कारण, जीवन में होती हैं विचित्र घटनाएं

Astrology: digi desk/BHN/ हमारे समाज में जो घटनाएं घटती है उसी के बारे में यह क्यों घटित होती है इसके बारे में थोड़ा विश्लेषण करना आवश्‍यक है। जिन लोगों को हमेशा ही पुलिस विभाग से खतरा हमेशा लगा रहेगा। खास करके जब भी शनि की महादशा अंतर्दशा चल रही होगी तभी यह ज्यादा हो जाएगा क्योंकि मंगल उनका सप्तम भाव में है। पार्टनर भाव में है साझेदारी के भाव में है और मंगल के साथ केतु भी है तो मंगल और केतु दोनों विच्छेद करते हैं। दोनों ग्रह गरम माने गए हैं अब उसी के ऊपर राहु की दृष्टि पड़ गई है तो यहां अंगारक योग यहां पर बड़ा अच्छा बन रहा है। इसीलिए इनको पुलिस विभाग से ज्यादा खतरा नजर आता है। दूसरी बात यह है की इनका गुरु जो है वह नीच का है सप्तम भाव में है और उनकी दृष्टि जो है द्वादश भाव पर जा रही है। जहां पर चंद्र विराजमान है द्वादश भाव जो मीन राशि है, वहां पर जल राशि है। मीन राशि और वहीं पर फिर से चंद्र भी विराजमान है तो और ज्यादा जल का प्रभाव उसमें देखने को पड़ता है। उसी के ऊपर जब गुरु की दृष्टि जाती है तो गुरु की जो शक्तियां हैं वह दृष्टि के अनुसार गुरु की शक्ति वहां पर पूरी नष्ट होती नजर आती है क्योंकि वहां पर जल है।

इसीलिए इनका गुरु कमजोर होने के कारण लोगों को यह दिन देखने पड़ रहे हैं। दूसरी बात यह है कि उनके निजी जीवन के बारे में बात करते हैं तो इनके भाव में यानी की दशम भाव में शुक्र और सूर्य है। यह भी एक ग्रहण दोष बना देते हैं तो शुक्र और सूर्य शुक्र है वह सीधे चतुर्थ भाव पर दृष्टि देखते हैं तो चतुर्थ भाव में दृष्टि देखने के बाद जब भी जिसका भी सूर्य चतुर्थ भाव में दृष्टि से देखता है उसके दो शादियां होती हैं। चतुर्थ भाव का शुक्र किस तरह से द्वितीय शादी होने के बाद फल देता है। अंगारक योग मंगल और केतु का एक साथ योग बनता है और तीसरी बात यह है कि जिनका गुरु कमजोर हो चुका है।

कुंडली के इस दोष के चलते अचानक सा फल भुगतना पड़ता है। कोई भी घटना हो हमारे जीवन से कुंडली के अनुसार ही घटित होती है और हम अपने जब ऊंचाई पर रहते हैं, तभी हम कभी अपनी कुंडली पर ध्यान नहीं देते। ग्रहों पर ध्यान नहीं देते हैं। पैसा आने के बाद हर इंसान यह सब बातें धर्म-कर्म यह सब भूल जाता है और इसी के अनुसार कर्म फल के अनुसार यह फल प्राप्त होता है। गुरु कमजोर होने के कारण जितना भी नाम होता है, व्यवसाय किया है वह पूरा नाम खराब हो जाता है। यह गुरु का एक वास्तविक अध्ययन है।

 

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