Shardiya Navratri: varanasi:शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। अगले नौ दिन यानी 25 अक्टूबर तक भक्त मां की आराधना करेंगे। इस बार की Shardiya Navratri की मायनों में बहुत खास होने जा रही है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस बार की अति दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। कुल मिलाकर 9 दिनी Shardiya Navratri पर्व में 7 दिन अलग-अलग योग मिल रहे हैं। नवरात्र के पहले दिन 17 को सर्वार्थ सिद्धि योग, 18 को त्रिपुष्कर योग, 19 को सर्वार्थ सिद्धि योग, चौथे तथा पांचवें दिन 20 व 21 को रवि योग और आठवें दिन 24 अक्टूबर को पुनः सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा।
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक शक्ति की आराधना-साधना का प्रमुख पर्व शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) मनाया जाता है। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि 25 अक्टूबर को सुबह 11.14 बजे तक नवमी है। ऐसे में इससे पूर्व नवमी का हवन आदि कर लेना होगा। इसके बाद 11.15 बजे दशमी तिथि आ जाएगी तथा विजय दशमी के अनुष्ठान किए जाएंगे। इससे पूर्व 23-24 की रात महानिशा पूजन और 24 को महाअष्टमी व्रत रखा जाएगा।
Navratri का पारण 25 को 11.14 बजे दिन के बाद दशमी तिथि में किया जा सकेगा। उदया तिथि अनुसार 26 को सुबह नवरात्र व्रत का पारण होगा। महाअष्टमी व्रत का पारण 25 को सूर्योदय के बाद होगा। इस बार माता का आगमन अश्व पर तो गमन भैंसा पर हो रहा है। दोनों का फल आमजन पर विपत्ति, रोग-शोक व असंतोष के रूप में लिया जाता है। इसके निवारणार्थ पूजन अनुष्ठान आदि किए जाते हैं।
Shardiya Navratri का हर दिन देवी के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरुप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं। उन्होंने बताया कि नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवें दिन मां स्कंदमाता, छठवे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें और अंतिम दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नवरात्र के पहले दिन विधिनुसार घटस्थापना का विधान है।