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Sawan: तिथि क्षय के साथ श्रावण मास आज से शुरू, भोलेनाथ के दर्शन को भक्त पहुंच रहे मंदिर

Sawan 2021: digi desk/BHN/ ग्वालियर/ 24 जुलाई आषाढ़ पूर्णिमा प्रातः 8:06 पर समाप्त होकर श्रावण माह शुरू हो गया है। ज्योतिषाचार्य डा. हुकुमचंद जैन का कहना है कि श्रावण मास की शुरुआत इस बार प्रतिपदा तिथि के क्षय के साथ हो रही है। इस बार श्रावण शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का भी क्षय हो रहा है। श्रवण मास के दोनों पक्ष कृष्ण व शुक्ल पक्ष में एक- एक तिथि क्षय होने से 5 माह के अंदर किसी राज्य की सत्ता परिवर्तन के योग है । कहीं अति वर्षा से जन धन हानि रोग महामारी बढ़ेगी। श्रावण अमावस्या शनिवारी उस दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग अरिष्टकारी है। 26 जुलाई को श्रावण माह का पहला सोमवार, 2 अगस्त को दूसरा, 9 को तीसरा 16 को चौथा सोमवार इस प्रकार इस वार 4 सोमवार रहेंगे । 22 अगस्त को रक्षा बंधन श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रावण मास समाप्त हो जाएगा।

श्रावण मास केे प्रारंभ के साथ ही शहर के शिव मंदिराें में भक्ताें की भीड़ लगना शुरू हाे गई है। बड़े शिव मंदिराें में ताे काेराेना गाइड लाइन के चलते कुछ बंदिशें भी लगाई गई है, जबकि कालाेनी एवं माेहल्लाें में मंदिराें में सुबह से ही भक्ताें की कतार लगी हुई है। सुबह पांच बजे से मंदिराें में लाेगाें ने पहुंचकर भगवान भाेलेनाथ का अभिषेक करना शुरू कर दिया था, यह सिलसिला दाेपहर तक जारी था।

श्रावण मास इतना उपयोगी क्यों

 श्रावण माह से व्रत और साधना के चार माह अर्थात चातुर्मास प्रारंभ होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती ने अपने दूसरे जन्म में शिव को प्राप्त करने हेतु युवावस्था में श्रावण महीने में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया था। इसलिए यह माह शिव जी को साधना ,व्रत, उपवास करके प्रसन्न करने का और मनोवांक्षित फल प्राप्त करने के लिए विशेष उपयोगी मास है। श्रावण शब्द श्रवण से बना है जिसका अर्थ है सुनना। अर्थात सुनकर धर्म को समझना। इस माह में सत्संग का महत्व है। श्रावण माह में सिर्फ सावन सोमवार ही नहीं संपूर्ण माह ही व्रत रखा जाता है। श्रावण मास को पवित्र और व्रत रखने वाला माह माना गया है। पूरे श्रावण माह में निराहारी या फलाहारी भी व्रत,साधना की जा सकती है। इस माह में शास्त्र अनुसार ही व्रतों का पालन करना चाहिए। संपूर्ण माह व्रत नहीं रख सकते हैं तो सोमवार सहित कुछ खास दिनों में ब्रह्मचर्य से रहकर व्रत और यथा शक्ति दान करना चाहिए।

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