Farmers electricity connections will be linked Aadhaar :digi desk/BHN/भोपाल/ कोरोना काल में चरमराई अर्थव्यवस्था को सुधारने के रास्ते तलाश रही प्रदेश सरकार की नजर बिजली की भारी-भरकम सब्सिडी पर भी पड़ गई है। इसके लाभ को लेकर सरकार कई बदलाव करने की तैयारी में है। हालांकि तर्क यही है कि जरूरतमंद को कोई नुकसान न हो और अपात्र को सब्सिडी न मिले। बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए गठित मंत्री समूह ने सरकार को कई सिफारिशें भेजी हैं, जिसमें सबसे अधिक जोर सब्सिडी को तार्किक करने पर दिया गया है। ये सिफारिशें लागू होती हैं तो फिलहाल दी जा रही 16 हजार करोड़ की सब्सिडी में से 1700 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि बचाई जा सकती है।
बिजली कंपनियों की माली हालत भी खराब चल रही है। ये कंपनियां 47 हजार करोड़ रुपये के घाटे में हैं। वहीं, प्रदेश सरकार पर कर्ज बढ़कर दो लाख 53 हजार करोड़ रुपये हो गया है। यह सरकार के बजट से भी अधिक है। सरकारी खजाने पर सब्सिडी का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में वित्त विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि सब्सिडी वाली जितनी योजनाओं में कटौती करते हुए इसका बोझ कम किया जाए। अब राज्य सरकार सब्सिडी वाली हर योजना में कटौती की तैयारी कर रही है। सबसे ज्यादा कटौती बिजली से संबंधित योजनाओं में होने के आसार हैं।
ये कवायदें शुरू
- फिलहाल सरकार इंदिरा गृह ज्योति योजना के दायरे से रसूखदारों को बाहर कर रही है, जिससे इसका पूरा लाभ वास्तविक पात्रों, जरूरतमंदों को मिल सके।
- किसानों के बिजली कनेक्शनों को आधार से जोड़कर पहचान की जाएगी। दरअसल, सरकार किसान को एक स्थान के लिए बिजली की सब्सिडी देगी, यानी एक किसान के एक से ज्यादा स्थानों पर अलग-अलग खेत हैं, तो उसे किसी एक स्थान के लिए ही बिजली पर सब्सिडी दी जाएगी, शेष स्थानों के लिए सामान्य दर पर बिजली दी जाएगी।
- अभी सरकार के रिकॉर्ड में प्रदेश में 30 लाख किसान पंजीकृत हैं, जो 10 हॉर्स पावर तक के पंप के लिए बिजली कनेक्शन पर सब्सिडी ले रहे हैं। इसमें 93 फीसद भुगतान सरकार करती है, जबकि सात फीसद किसान देता है।
- प्रदेश में आठ लाख किसान ऐसे हैं, जो एससी-एसटी या गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं। इन किसानों को मुफ्त बिजली दी जा रही है।
- सरकार अब दोहरी सब्सिडी पर भी रोक लगाने जा रही है यानी खेती के साथ घरेलू बिजली पर भी सब्सिडी नहीं दी जाएगी।