illegal child shelter home:digi desk/BHN/रायपुर/राजधानी रायपुर में मंत्रालय से महज तीन चार किलोमीटर की दूरी पर चल रहे अवैध बालगृह में मतांतरण का खेल बेनकाब होने के बाद मकान मालिक ने उसे खाली करवाकर ताला लटका दिया है। मकान से थोड़ी दूर रहने वालों ने बताया कि उक्त मकान किसी रसूखदार अधिकारी का है।
इससे कॉलोनी में अंदेशा जताया जा रहा है कि कहीं अवैध बालगृह के संचालन में रसूखदार का भी हाथ न हो। हालांकि, यह सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं। मगर, कॉलोनीवासियों का कहना है कि मकान किराए में देते समय मकान मालिक को मालूम था कि वहां बाल गृह खोला जाएगा। यदि उसकी सहमति नहीं होती तो भला बाल गृह का संचालन कैसे हो सकता था।
सुनसान इलाका, इसीलिए खोला अवैध बालगृह
सेक्टर 29 स्थित सीनियर एमआईजी 427 नम्बर मकान जिस लोकेशन में हैं, उस लाइन में ज्यादातर मकान खाली हैं और वहां कम ही लोग आते जाते हैं। चूंकि 20 दिन पहले 19 बच्चों को लाकर रखा गया था, इसलिए बच्चों का कोलाहल सुनाई देता था। शुरुआत के दिनों में किसी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब बच्चों को धर्म विशेष का ज्ञान देने की आशंका हुई, तब किसी ने समीप के गांव के सरपंच को जानकारी दी। सरपंच ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी को सूचित किया। इसके बाद वहां पुलिस के सहयोग से छापा मार कार्रवाई करके बच्चों को छुड़ाया गया था।
मामले को दबाने की साजिश
कुछ अलग नजरिये से मामले को देखने पर समझ में आता है कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने अपनी इज्जत बचाने की खातिर अवैध बालगृह पर दिखावे की कार्रवाई की है। इस मामले में लीपापोती करते हुए अधिकारी दबी जुबान से बयान दे रहे हैं कि शायद मानवीय भूल से बाल गृह चलाने वाले संचालक ने अनुमति नहीं ली होगी। उसका उद्देश्य बच्चों की अच्छी परवरिश करना ही रहा होगा।
महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी सिर्फ अनुमति लिए बिना बाल गृह चलाने की शिकायत करके मामले को खत्म करने की कोशिश में है। अब अधिकारी इसे दबाने में लगे हैं और कह रहे कि संचालक ने बस अनुमति नहीं लेने की गलती कर दी है। जबकि संचालक की गतिविधियां और पुराना इतिहास साफ बयां करता है कि वह बाइबिल की शिक्षा देने का काम करता रहा है।
ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले आरोपित नरेश महानंद ने स्वयं मॉरीशस से लौटकर और चंडीगढ़ में बाइबिल की शिक्षा देने की बात मीडिया के समक्ष कबूल की है। बहरहाल, इस मामले में मंडला पुलिस और बाल संरक्षण समिति द्वारा अपने तरीके से जांच करने की बात कही जा रही है। निष्पक्ष जांच के बाद ही असली सच्चाई सामने आएगी।