Amazing MP: digi desk/BHN/भोपाल/ हर नवविवाहिता के अरमान होते हैं कि शादी के शुरूआती दिनों में उसका पति नई-नई जगह घुमाने ले जाए। होटल-रेस्टोरेंट में उनकी शाम बीते। पति दफ्तर से जल्दी घर आकर उसके संग समय बिताए। छुट्टी के दिन घर से बाहर घूमने जाएं लेकिन, यहां तो घर पर पति का सारा समय पूजा-पाठ और हफ्ते के तीन-चार दिन व्रत उपवास में गुजर रहे थे। भक्ति में ऐसा मन रमा था कि पति की दिनचर्या में भगवान की आराधना और दफ्तर के अलावा पत्नी के लिए कोई समय ही नहीं था। पति के ब्रह्मचर्य जीवन से रूठी पत्नी ने शादी के कुछ दिन बाद ही मायके का रुख कर लिया। कई बार मनाने पर भी पत्नी जब वापस आने के लिए राजी नहीं हुई तो पति ने कुटुंब न्यायालय की शरण ली।
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत पति और निजी कंपनी में सेवारत पत्नी के बीच शादी के पहले दिन से सामंजस्य नहीं बैठा। पति की जीवनचर्या के चलते छह माह बाद ही विवाद की स्थिति बनने लगी। दोनों की शादी आठ दिसंबर 2018 को हुई थी। पत्नी ने न्यायालय को बताया कि शादी के अगले ही दिन उसे तब झटका लगा जब उसने देखा कि पति दिन में पांच से छह घंटे तक पूजा करते हैं।
यही नहीं, सप्ताह में तीन दिन व्रत और महीने में पड़ने वाली खास तिथियों पर भी उपवास रखते हैं। पति पूरी तरह सात्विक और ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करते हैं। नई-नई शादी में पति से बहुत सी उम्मीदें थीं, लेकिन पति को व्रत-उपवास और पूजा-पाठ से समय ही नहीं मिल रहा था। ऐसे में साथ रहने से क्या फायदा, इसलिए मैं मायके वापस चली गई।
पति ने बदलाव लाने का भरोसा दिलाया
काउंसिलिंग में पति ने कहा कि उसकी धार्मिक दिनचर्या से पत्नी को कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए था। वह पत्नी को घर में सारी सुख-सुविधाएं उपलब्ध करा रहा था लेकिन इसके बाद भी पत्नी ने उसे नहीं समझा। पति ने कहा कि वह अब पत्नी के अनुसार अपने स्वभाव में बदलाव लाने का प्रयास करेगा।
इनका कहना है
दोनों की शादी के मुश्किल से तीन साल हुए हैं। नए रिश्ते में पति-पत्नी को एक-दूसरे को समझने में थोड़ा समय लगता है। पति से कहा कि वह पत्नी को समय दे और पत्नी को भी समझाया कि पति को एक मौका और दे। पांच से छह बार की काउंसिलिंग के बाद दोनों साथ रहने के लिए राजी हुए।
- सिंधु धौलपुरे, काउंसलर, कुटुंब न्यायालय