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Zika Virus: केरल में जीका वायरस के एक और मामले की पुष्टि, प्रदेश में अब तक 19 लोग संक्रमित

Zika Virus: digi desk/BHN/ अभी कोरोना वायरस का असर खत्म भी नहीं हुआ है, और एक दूसरे वायरस ने आतंक मचाना शुरु कर दिया है। केरल में सोमवार को एक और जीका संक्रमित मरीज मिला है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज (Veena George) ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि एक 73 वर्षीय महिला में जीका वायरस का पता चला था, जिसका राजधानी तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में इलाज किया गया था। इसके साथ ही प्रदेश में जीका संक्रमितों की संख्या बढ़कर 19 हो गई है। वैसे केरल सरकार ने जीका वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। लेकिन तमिलनाडु और कर्नाटक ने भी अपने यहां सख्ती बढ़ा दी है। केरल से लगती सीमाओं पर कड़ी जांच के साथ ही ई-पास अनिवार्य कर दिया गया है।

जीका वायरस के बारे में जानें

जीका वायरस दरअसल मच्‍छर से फैलता है। साल 1947 में यूगांडा के जीका जंगल में रहने वाले बंदरों में सबसे पहले ये वायरस पाया गया था। मगर सन् 1952 में इसे औपचारिक रूप से एक खास वायरस माना गया। भारत में साल 2016-17 में पहली बार गुजरात में जीका वायरस के मामले मिले थे। वर्तमान में 86 देश और क्षेत्रों में मच्छर के फैलाव से जीका वायरस के सबूत पाये गये हैं। वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के मुताबिक जीका वायरस बीमारी के प्रकोप अफ्रीका, एशिया और अमेरिका में सामने आ चुके हैं।

ये वायरस मुख्‍यत: इनफेक्‍टेड एडीज मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है। वैसे आपको बता दें कि एडीज मच्छर से ही डेंगू, चिकनगुनिया और येलो फीवर जैसी बीमारियां भी फैलती हैं। जीका के लक्षणों में बुखार, स्किन पर चकत्ते और जोड़ में दर्द आदि शामिल हैं, जो बिल्‍कुल डेंगू की तरह होते हैं। वैसे, जीका वायरस से संक्रमित अधिकतर लोगों में लक्षण नहीं होता, लेकिन उनमें से कुछ को बुखार, मांसपेशी और जोड़ का दर्द, सिर दर्द, बेचैनी, फुन्सी और कन्जंक्टिवाइटिस की समस्या हो सकती है।

क्यों खतरनाक है जीका वायरस?

जीका वायरस गर्भवती महिला से उसके बच्‍चे में गर्भवास्था के दौरान फैल सकता है और इसके कारण बच्चा अविकसित दिमाग के साथ पैदा हो सकता है। ब्राजील में करीब 1600 बच्‍चे साल 2015 में कई विकारों के साथ पैदा हुए थे। और सबसे बड़ी समस्या ये है कि वर्तमान में जीका वायरस संक्रमण के इलाज या रोकथाम करने के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। ये खतरनाक इसलिए भी क्योंकि वायरस के वाहक मच्छर किसी एक इलाके में बहुत सारे लोगों को एक साथ बीमार कर सकते हैं। समय पर इलाज नहीं हुआ, तो मरीज की जान भी जा सकती है।

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