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Strike in MP: प्रदेश के 65 हजार निजी स्कूलों में बंद रही ऑनलाइन कक्षाएं,स्कूल संचालकों ने चाबी सौंपी

MP private school strike: digi desk/BHN/भोपाल/ सीबीएसई और माध्यमिक शिक्षा मंडल से संबद्ध प्रदेश के करीब 65 हजार स्कूलों में आज ऑनलाइन कक्षाएं बंद रही। इंदौर में निजी स्कूल संचालकों ने स्कूल में ताला बंद कर स्कूल शिक्षा विभाग के कार्यालय जाकर चाबी सौंपी। शिक्षण शुल्क बढ़ाए जाने समेत अन्य मांगों को लेकर प्राइवेट स्‍कूल संचालक प्रदर्शन कर रहे हैं।
मप्र प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजित सिंह का कहना है कि अनेक अभिभावकों ने पिछले साल की बकाया फीस अब तक नहीं दी है। शासन इसे दिलवाने के इंतजाम करे। साथ ही स्कूलों की मान्यता का नवीनीकरण पांच साल के लिए किया जाए। इसके अलावा राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा आरटीई के तहत निजी स्कूलों को बकाया फीस का भुगतान भी तुरंत किया जाए। इस संबंध में एसोसिएशन के करीब 12 से 15 सदस्यों द्वारा आज राज्य शिक्षा केंद्र पहुंचकर विरोध-प्रदर्शन करने की योजना है। वहीं एसोसिएशन ऑफ अनएडेड प्रायवेट स्कूल्स बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा करेगा।
एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विनीराज मोदी का कहना है कि सरकार स्कूल खोलने का निर्णय नहीं कर रही है। इस साल के लिए भी सिर्फ शिक्षण शुल्क लेने का शासन का फैसला सही नहीं है। उनका कहना है कि आज एक दिन हड़ताल करेंगे। इसके बाद पीएस से मुलाकात कर आगे की रणनीति तय करेंगे। हालांकि राजधानी में लगभग 100 सीबीएसई स्कूल है। इसमें 60 से अधिक सीबीएसई स्कूल हड़ताल में शामिल नहीं है। बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीसरी लहर की आशंका खत्म होने तक स्कूल बंद रखने एवं स्कूल संचालकों द्वारा शिक्षण शुल्क के अलावा कोई अतिरिक्त राशि नहीं लेने का ऐलान किया है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश भी जारी कर दिए हैं। इसके विरोध में निजी स्कूल संचालकों ने आज ऑनलाइन कक्षाएं बंद रखीं। स्कूल संचालकों का तर्क है कि पिछले 15 माह से स्कूल बंद है, लेकिन खर्चे जारी हैं। सरकार ने निजी स्कूलों को किसी तरह की आर्थिक मदद तो की नहीं है, लेकिन इस सत्र में भी केवल शिक्षण शुल्क लेने का एकतरफा फरमान सुना है, जो गलत है।
निजी स्कूलों की सरकार से मांग
  • – कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के चलते स्कूल बंद रखे जाने का बगैर सोचे-समझे लिए गया निर्णय तत्काल वापस लें।
  • – प्रदेश के सभी निजी विद्यालयों के लिए आर्थिक पैकेज घोषित किया जाए। इसके अंतर्गत उनके द्वारा लिए गए ऋण पर लगने वाले ब्याज की प्रतिपूर्ति हो सके और वे दिवालिया होने से बच सकें।
  • – सभी शिक्षण संस्थानों के बिजली बिल उपयोग के अनुसार लेते हुए पुराने बिल समायोजित किए जाएं।
  • – आरटीई के अंतर्गत प्रवेशित विद्यार्थी के शिक्षण सत्र 2020-21 तक की बकाया शुक्ल की प्रतिपूर्ति शीघ्र की जाए।
  • – केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में जारी दिशा-निर्देशों के तहत नवमीं से बारहवीं तक की कक्षाएं तत्काल शुरू की जाएं।
  • – उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार केवल शिक्षण शुल्क (ट्यूशन फीस) ही लेने का आदेश सत्र 2020-21 के लिए था। अत: इस सत्र 2021-22 में विद्यालयों को शिक्षण शुल्क के साथ-साथ अन्य शुल्क जैसे वार्षिक शुल्क, विकास शुल्क, इत्यादि लेने की अनुमति दी जाए।

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