MP Education: digi desk/BHN/भोपाल/ कोरोना महामारी के कारण इस बार मध्य प्रदेश में पांच दशक पुरानी हाईस्कूल एवं हायर सेकंडरी परीक्षा प्रणाली में परिवर्तन हो सकता है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के एक वर्ष में दो परीक्षा कराने की घोषणा के बाद प्रदेश में भी इस दिशा में विचार शुरू हो गया है। मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिम) और स्कूल शिक्षा विभाग के स्तर पर आने वाली परिस्थितियों (तीसरी लहर की आशंका) में इसे बेहतर विकल्प माना जा रहा है। हालांकि कोई भी निर्णय लेने से पहले तमाम पहलुओं पर विस्तार से विचार किया जाएगा और बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक जाएगी।
मध्य प्रदेश में कोरोना के चलते पिछले साल (वर्ष 2020 में) तमाम परीक्षाएं प्रभावित हुईं, तो इस साल परीक्षाएं कराई नहीं जा सकीं। खासकर 10वीं और 12वीं की परीक्षा के परिणाम को लेकर ऐसे हालात बन गए कि सरकार को निर्णय लेने में काफी समय लग गया। अब कोरोना की तीसरी लहर की आशंका सता रही है। बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर राज्य सरकार ने आशंका का समाधान होने तक स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया है।
जाहिर है, ऐसे में पढ़ाई फिर प्रभावित होगी और पिछली दो लहरों की तरह तीसरी लहर का प्रभाव परीक्षा के समय तक रहा, तो स्थिति और विकट हो जाएगी। सूत्र बताते हैं कि इसलिए साल में दो परीक्षा (50-50 फीसद पाठ्यक्रम के आधार पर) कराने का विकल्प सभी को रास आ रहा है।
हालांकि अभी इस पर विस्तार से चर्चा शुरू नहीं हुई है, मगर ऐसा होता है, तो आने वाले साल (वर्ष 2022) में इस साल जैसे (वार्षिक परिणाम के लिए अंक नहीं मिलने) हालात नहीं बनेंगे। उल्लेखनीय है कि इस साल 12वीं की छह माही, प्री-बोर्ड परीक्षाएं ठीक से नहीं कराई जा सकीं। इस कारण वार्षिक परीक्षा परिणाम के लिए माशिम को अंक तक नहीं मिले और मजबूरी में हाईस्कूल परीक्षा 2019 के आधार पर काल्पनिक अंक देकर परिणाम तैयार करना पड़ रहा है।
परीक्षा प्रणाली बदल देगा विकल्प
जानकार बताते हैं कि राज्य सरकार ने सीबीएसई का विकल्प अपनाया, तो यह दशकों पुरानी परीक्षा प्रणाली बदल देगा। इससे अच्छा यह होगा कि विद्यार्थी आधा पाठ्यक्रम पढ़ें और परीक्षा दें, शेष आधे पाठ्यक्रम की परीक्षा दूसरी बार। फिर दोनों के अंक जोड़कर परिणाम तैयार। इससे बस्ते का बोझ भी कम हो जाएगा और विद्यार्थी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन भी कर पाएंगे।