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Crime: पुलिस के तीन व आरपीएफ के पांच जवानों ने ट्रेन में की थी सराफा कारोबारियों से 60 लाख की लूट

police robbed: digi desk/BHN/ग्वालियर/ झांसी के तीन सराफा कारोबारियों से 16 दिन पूर्व चलती ट्रेन (जबलपुर-निजामुद्दीन) 60 लाख रुपये लूटने वाली गैंग को क्राइम ब्रांच ने पकड़ लिया है। पुलिस ने इस गैंग से लूटे गए 60 लाख रुपये में से 52 लाख 50 हजार स्र्पये बरामद कर लिए हैं। फिल्मी अंदाज में डबरा से ग्वालियर के बीच लूट करने वाली गैंग का सरगान पुलिस का निलंबित जवान सतेंद्र सिंह गुर्जर है। सतेंद्र ने लूट की इस बड़ी वारदात को अंजाम साइबर सेल के दो जवानों व रेलवे पुलिस के एक जवान के अलावा दो अन्य साथियों के सहयोग से दिया था।

आरोपितों ने स्वयं को क्राइम ब्रांच के अधिकारी बताकर नोटो से भरे दो बैग छीने थे। लुटेरों को व्यापारियों के भारी मात्रा पैसा लेकर झांसी से दिल्ली जाने की टिप्स उनके ड्रायवर ने दी थी। पुलिस ने इस गैंग को ग्वालियर से डबरा के बीच लगे सीसीटीवी कैमरों से मिले फुटेज से पकड़ा है। लूट की इस बड़ी वारदात में सबसे बड़ा यह सवाल यह है कि लूट की वारदात 17 जून की है। पुलिस ने लुटेरों को पकड़ने के बाद जीआरपी (ग्वालियर) में ममाला दर्ज किया है।
एसपी अमित सांघी ने बताया कि झांसी बड़ा बाजार निवासी राकेश पुत्र शंकर अग्रवाल का सोने के आभूषणों का कारोबार है। राकेश अग्रवाल पिछले 25 साल से स्थानीय व्यापारियों से डिजाइन व पैसा लेकर दिल्ली से गहने लाते हैं। इसके एवज में इन्हें कमीशन मिलता है। राकेश के साथ झांसी के सागर अग्रवाल व संजय गुप्ता भी उनके साथ काम करते हैं। राकेश अग्रवाल व उनके साथी व्यापारी 17 जून को व्यापारियों का पैसा लेकर झांसी से जबलपुर-निजमुद्दीन एक्सप्रेस में दिल्ली जाने के लिए बैठे थे। तीन व्यापारियों के पास तीन बैग थे। दो बैग में 30-30 लाख रुपये व तीसरा बैग खाली था। यह तीनों व्यापारी एक ही कोच में थे।
डबरा-ग्वालियर के बीच राजस्थान की फर्जी क्राइम ब्रांच की टीम ने पकड़ा-
डबरा-ग्वालियर के बीच आधा दर्जन लोग इनके कोच में आए। सीधे तीनों व्यापारियों के बीच पहुंचे। इन लोगों ने नाम से व्यापारियों को संबोधित करते हुए बताया कि हम लोग राजस्थान क्राइम ब्रांच के अधिकारी हैं। उन्हें पुख्ता सूचना मिली कि तीनों लोग झांसी व दिल्ली के हवाला कारोबारियों का पैसा इधर से उधर पहुंचाते हो। इन जवानों ने व्यापारियों के तीनों बैग छीन लिए। राजस्थान पुलिस का नाम सुनते ही व्यापारी भी बुरी तरह से घबरा गए। बैग खोलकर देखने के बाद कुछ देर तक कोच में ही व्यापारियों से पूछताछ करते रहे। इसके बाद बोले ग्वालियर रेलवे स्टेशन प आखिरी कोच में आ जाना। हमारे बड़े अधिकारी उसी कोच में बैठे हैं। अब यह पैसा पूरी छानबीन के बाद ही वापस मिलेगा। इसके बाद बैग लेकर चले गए।
अखिरी कोच में कोई नहीं था- तीनों व्यापारी डरते-डरते आखिरी कोच में पहुंचे। जहां उन्हें कोई नजर नहीं आया। डरे व्यापारी पहले दिल्ली पहुंचे। दिल्ली से लौटने के बाद जीआरपी (झांसी) को इसकी सूचना जिन व्यापारियों का पैसा उनसे चर्चा करने के बाद दी। इस वारदात की जानकारी एसपी अमित सांघी को मिली।
क्राइम ब्रांच की टीम को पड़ताल के लिए लगाया- एसपी अमित सांघी व एएसपी सतेंद्र सिंह तोमर ने लूट की इस बड़ी वारदात की पड़ताल करने के लिए डीएसपी क्राइम विजय सिंह भदौरिया, रत्नेश तोमर व क्राइम ब्रांच थाना प्रभारी पप्पू यादव व उनकी टीम को लगाया।
सीसीटीवी फुटेज से हुई लुटेरों की पहचान- पुलिस ने लुटेरों की पहचान करने के लिए सबसे पहले ग्वालियर से लेकर झांसी तक सीसीटीवी फुटेज देखने शुरू किए। फुटेज में पुलिस ने सबसे पहले व्यापमं कांड में निलंबित सतेंद्र गुर्जर के रूप में की। फुटेज में तीन साथियों को बैग के साथ नजर आया। व्यपारियों ने बताया कि यह बैग उन्हीं के हैं।

 

मास्टर माइंड निकला पुलिस का निलंबित जवान- पुलिस ने सबसे पहले सतेंद्र सिंह गुर्जर को उठाया। सतेंद्र के पकड़ में आते ही बड़ी लूट का खुलासा हो गया। सतेंद्र ने पुलिस को बताया कि इस लूट में सायबर पुलिस के जवान अभिषेक तिवारी, विवेक पाठक व आरपीएफ के जवान के साथ व्यापारी के ड्राइवर प्रेमनारायाण प्रजापति व महेंद्र के साथ अंजाम दिया है। पुलिस ने चारों जवानों के साथ ड्राइवर को भी गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने इनके पास से लूटे गए 60 लाख में 52 हजार 500 रुपये बरामद कर लिए हैं।
ड्राइवर ने दी थी टिप्स- पुलिस ने बताया कि सतेंद्र के टच व्यापारी का प्रेमनारायण प्रजापति संपर्क में था। कुछ दिन पहले ही व्यापारी ने लापरवाही के आरोप में उसे भगा दिया था। ड्राइवर ने व्यापारी से खुन्नाास निकालने के लिए व्यापारी कब और कैसे पैसा लेकर दिल्ली जाते हैं, उसकी जानकरी सतेंद्र को दी। पुलिस उसके बाद व्यापारियों को ट्रेन में ही लूटने की फूल प्रूफ योजना बनाई। ड्राइवर ने दावा किया था कि यह पैसा नंबर-2 को होता है। इसलिए व्यापारी पैसा लूटने के बाद भी इसकी सूचना पुलिस को नहीं देंगे। चुपचाप बैठ जाएंगें। राजस्थान पुलिस के नाम पर चलती ट्रेन में एक करोड़ से अधिक का सोना लूटने की वारदात इसी तरीके से हुई थी।
लुटेरे पकड़ने के बाद दर्ज हुआ लूट का मामला- इस पूरे घटनाक्रम में सबसे बड़ी बात यह है कि लूट की वारदात 16 दिन पूर्व हुई थी। लूट सूचना मिलने के बाद पुलिस ने इस मामले को दबाकर रखा। लुटेरों के पकड़े जाने के बाद जीआरपी में 170, 171, 384,419 के तहत दर्ज किया है।

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