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Uttarakhand: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने की इस्तीफे की पेशकश, संवैधानिक बाध्यताओं का दिया हवाला

Uttrakhand cm tirath singh send his resignation to bjp: digi desk/BHN/ उत्तराखंड (Uttrakhand) में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को खत के ज़रिए अपना इस्तीफा भेज दिया है। इसमें उन्होंने जनप्रतिधि कानून की धारा 191 A का हवाला देते हुए लिखा है कि संवैधानिक बाध्यता के कारण वो अगले 6 महीने में चुनकर दोबारा नहीं आ सकते, इसलिए बेहतर होगा कि आप मेरी जगह किसी नये नेता का चुनाव कर लें। मुख्यमंत्री रावत ने इस्तीफे की औपचारिकता पूरी करने के लिए उत्तराखंड के राज्यपाल से भी मिलने के लिए समय मांगा है। माना जा रहा है कि राज्यपाल से समय मिलते ही मुख्यमंत्री गवर्नर हाउस जाएंगे और आधिकारिक तौर पर अपना इस्तीफा सौंपेंगे।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को दिल्ली बुलाया गया था, जहां वो तीन दिनों से डेरा जमाये रहे और नेताओं से मिलते रहे। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के कई नेता तीरथ सिंह रावत से नाराज चल रहे हैं। इसी मुद्दे पर बातचीत के लिए उन्हें दिल्ली बुलाया गया था। शुक्रवार को पिछले 24 घंटों के भीतर दूसरी बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद वह देहरादून लौटे, और शाम को इस्तीफा दे दिया। आपको बता दें कि तीन महीने पहले ही सीएम बदलने के बाद बीजेपी के सामने एक बार फिर नेतृत्व का संकट आ गया है।

क्या है संवैधानिक संकट?

पौड़ी से मौजूदा लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत ने इस साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था। संविधान के मुताबिक उन्हें 6 महीने के भीतर किसी विधानसभा सीट से चुनाव जीतना होगा। यानी मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए रावत को 10 सितम्बर तक विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना पड़ेगा। लेकिन उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में एक वर्ष से भी कम का समय बचा है। नियमों के मुताबिक मुख्य चुनाव में 1 वर्ष से कम समय बचे होने पर उपचुनाव नहीं कराये जा सकते। ऐसे में रावत से लिए 10 सितंबर से पहले किसी सीट से चुनाव जीतना संभव ही नहीं है।

प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं, जहां उपचुनाव कराया जाना है। लेकिन चूंकि राज्य में अगले ही साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होना है, जिसके लिए साल भर से कम का समय बचा है। ऐसे में उपचुनाव कराए जाने का फैसला निर्वाचन आयोग के विवेक पर निर्भर करता है। इन दोनों सीटों पर चुनाव आयोग ने अब तक उपचुनाव की घोषणा नहीं की है।

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