MP State Cyber Cell Advisory: digi desk/BHN/भोपाल/ इन दिनों साइबर अपराधी बैंक में केवायसी अपडेट करने के नाम पर फोन कॉल या मैसेज के माध्यम से बैंक खातों की जानकारी लेकर धोखाधड़ी कर रहे हैं। अपराधियों के पास व्यक्तिगत जानकारी पहुंच गई तो वे इंटरनेट बैंकिंग एक्टिवेट कर फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) भी निकाल लेंगे। इनसे बचने के लिए राज्य साइबर पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है।
राज्य साइबर सेल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक योगेश चौधरी ने बताया कि साइबर अपराधी केवायसी अपडेट नहीं होने के कारण बैंक खाता बंद होने की जानकारी देते हैं। इसे फिर से शुरू करने के लिए वे बैंक से संबंधित व्यक्तिगत जानकारी मांगते हैं। इसी जानकारी के आधार पर वे रुपये ट्रांसफर कर लेते हैं। मालूम हो, बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान ग्राहक की पहचान और उसके पते को सत्यापित करने के लिए केवायसी (नो योर कस्टमर) का उपयोग करते हैं।
ऐसे करते हैं धोखाधड़ी
अपराधी खुद को बैंक कर्मी बताते हुए बैंक खाता नंबर, कार्ड नंबर, ओटीपी आदि पूछते हैं। इसी जानकारी के आधार पर वे खाते की इंटरनेट बैंकिंग का एक्सेस (लॉगिन आइडी) प्राप्त कर या नया इंटरनेट बैंकिंग आइडी तैयार कर खाते में खुद का मोबाइल नंबर जोड़ लेते हैं। इससे सारे ओटीपी उनके नंबर पर आने लगते हैं। इसी दौरान बैंक खाते से पैसे कटने के ट्रांजेक्शन/ओटीपी मैसेज मिलना बंद हो जाते हैं। इससे वे एफडी को भी तोड़कर पैसों को अन्य खातों में ट्रांसफर कर लेते हैं। मोबाइल बैंकिंग एप जैसे योनो आदि के माध्यम से एटीएम कार्ड के बिना भी एटीएम से रुपयों का आहरण कर लेते हैं। इस तरह के अपराधों से संबंधित कई शिकायतों की जांच राज्य सायबर पुलिस कर रही है।
ऐसे बचें धोखाधड़ी से
- – बैंक खाते से संबंधित जानकारी फोन पर न दें। आवश्यक होने पर बैंक जाकर व्यक्तिगत रूप से जानकारियों को अपडेट करें।
- – इंटरनेट बैंकिंग का पासवर्ड स्वयं बनाएं व किसी से साझा न करें। अतिरिक्त सावधानी यह है कि इसे मोबाइल में लिखकर भी न रखें।
- – कोई अपराध हो तो तत्काल नजदीकी पुलिस थाने या www.cybercrime.gov.in या टोल फ्री नंबर 155260 पर शिकायत करें।