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फेफड़ों की कोशिकाओं में तेजी से चिपक जाता है डेल्‍टा प्‍लस वैरिएंट, हालांकि नुकसान कम : ICMR

Delta plus variant sticks to lung  cells: digi desk/BHN/ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सदस्य और टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डा. एनके अरोड़ा ने कहा कि डेल्टा प्लस वैरिएंट फेफड़ों की कोशिकाओं में तेजी से चिपक जाता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि यह गंभीर बीमारी पैदा करेगा या तेजी से फैलेगा। डा. अरोड़ा ने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या यह ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। हालांकि, डेल्टा के मुकाबले इसकी संक्रामक क्षमता कम जान पड़ती है, लेकिन इस बारे में भी विशेषज्ञ अभी बहुत कुछ कहने की स्थिति में नहीं और अभी ज्यादा अध्ययन की आवश्यकता बता रहे हैं। ज्यादा मामले सामने आने के बाद ही इसके प्रभाव के बारे में कुछ स्पष्ट पता चल सकेगा। वैक्सीन की एक या दोनों डोज लेने वालों को इससे बहुत हल्का संक्रमण होगा। यह संक्रमण को गंभीर होने से बचाएगी। भारत में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट में बदलाव हुआ है। इसमें म्यूटेशन के बाद डेल्टा प्लस वैरिएंट सामने आया है, जो वायरस के अन्य वैरिएंट की तुलना में फेफड़ों को बहुत तेजी के साथ जकड़ रहा है।

अभी तक देश के 12 राज्‍यों में 52 मामले आए सामने

देश में 12 राज्यों में डेल्टा वैरिएंट के अभी तक लगभग 52 मामले सामने आए हैं। मध्य प्रदेश में दो और तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र में एक-एक मरीज की इससे मौत भी हो चुकी है। डा. अरोड़ा कहते हैं कि डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित लोगों की संख्या ज्यादा हो सकती है। चूंकि ज्यादातर लोगों में लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, इसलिए वो लोग पकड़े नहीं जा रहे हैं और ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इससे संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है। सबसे पहले 11 जून को डेल्टा प्लस का मामला सामना आया था।

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