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पिता के घर रहने के लिए बेटी को हर महीने देना होगा 10,000 रुपए व्यवसाय शुल्क, हाई कोर्ट का फैसला

newdelhi: सम्पत्ति विवाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। पिता और बेटी के बीच के ऐसे ही विवाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता दिव्या कुकरेजा को निर्देश दिया कि वह पिता चिरंजीव लाल कुकरेजा की संपत्ति का इस्तेमाल कर रही हैं, इसलिए बदले में उन्हें व्यवसाय शुल्क का भुगतान करना होगा। कोर्ट ने इसके लिए 10,000 रुपए प्रति माह की राशि तय की। जस्टिस प्रतिभा एम. सिह की पीठ ने केस की सुनवाई के दौरान कहा कि प्रतिवादी पिता सेवानिवृत्त इंजीनियर हैं, जबकि पढ़ी लिखी होने के कारण बेटी अपनी आजीविका कमाने में सक्षम है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि बेटी दिव्या अपने पिता के घर में एक कमरा, रसोईघर, शौचालय और बरामदे का इस्तेमाल कर रही हैं। ऐसे में फिलहाल उन्हें 1 अक्टूबर से पिता को 10 हजार रुपए प्रतिमाह भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है। मामले में अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।

दक्षिण दिल्ली स्थित ईस्ट ऑफ कैलाश निवासी चिरंजीव लाल कुकरेजा के वकील निपुन कात्याल के मुताबिक, चिरंजीव ने अपनी बेटी को बिजनेस मैनेजमेंट में शिक्षा दिलाई और साल 2008 में धूमधाम से शादी भी की थी। हालांकि, पति से किसी वजह से तलाक होने के बाद वह साल 2012 में पिता के पास दिल्ली आ गईं, लेकिन कुछ समय बाद ही पिता के साथ भी उनके रिश्ते खराब हो गए। आए दिन झगड़ा शुरू हो गया।

इसके बाद संपत्ति विवाद को लेकर पहले मामला साकेत मजिस्ट्रेट के पास पहुंचा, जहां फैसला चिरंजीव लाल कुकरेजा के पक्ष में आया था। इस फैसले को दिव्या ने जिला जज के पास चुनौती दी थी। वहां भी दिव्या के खिलाफ फैसला आया। इसके बाद निचली अदालत के फैसले को दिव्या ने साल 2019 में हाई कोर्ट में चुनौती दी।

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