Cultivating anna apple in the bolcony: digi desk/BHN/ वैसे तो सेबफल ठंडे प्रदेशो में उगते हैं, और वहीं पर इनकी खेती भी की जाती है एवं पूरे देश भर में इन्ही जगहों से सेबफल को पहुंचाया जाता है। लेकिन अब तक आपने सेबफल की खेती या तो हिमाचल प्रदेश में सुनी होगी या फिर कश्मीर में। इसके अलावा शायद ही कोई ऐसा स्थान होगा जहां पर सेबफल की खेती के बारे में आप जानते होगें। लेकिन अगर हम आपसे ये कहें कि एक शख्स ने अपने फ्लैट की बालकनी में सेबफल उगा दिए हैं तो शायद आपको यकीन न हो। इतना ही नहीं यह सेबफल एक खास किस्म के सेबफल हैं। चलिए आपको विस्तार से बताते हैं।
बैंगलुरू में रहने वाले 57 वर्षीय विवेक बिलासिनी पेशे से एक आर्टिस्ट और फोटोग्राफर है। इन्होनें अपने फ्लैट की बालकनी में सेबफल उगाकर तमाम लोगों को हैरानी में डाल दिया है। इसे लेकर विवेक ने बताया कि सात साल पहले इस काम को एक काॅन्सेप्ट बेस्ड आर्ट प्रोजेक्ट के तहत फल की खास तरह की किस्म को उगाना शुरू किया था। केरल के मुन्नार में उनका एक खेत है। लेकिन अपने इस प्रोजेक्ट के लिए उन्होनें अपने ही फ्लैट की बालकनी को चुना और तय किया कि वो कुछ पौधों को बालकनी में उगाएंगे। अगर ये प्रोजेक्ट सफल होता है तो इसे वह अपने खेत में सिफ्ट कर देगें।
विवेक द्वारा जिस प्रोजेक्ट को उन्होनें करने का निर्णय लिया था वह कम ठंडी जगहों पर होने वाला खास किस्म का सेब था जिसे ‘एना एप्पल’ कहते हैं। विवेक को साउथ कैलिफोर्निया के खेत में इस सेब की वैरायटी का पता चला था। उन्होनें जब कैलिफोर्निया के फार्म से काॅन्टैक्ट किया तो उन्होनें इसे कानून के खिलाफ बताते हुए भारत में इसकी सैंपलिंग को भेजने से साफ मना कर दिया। उन्होनें बताया कि भारत में इस सेब की खेती कुछ ही जगहों पर होती है तो वहीं कुर्ग स्थित एक नर्सरी में उन्हें इसकी सैंपलिंग आखिरकार मिल ही गई और इन्होनें फिर से अपने अपार्टमेंट पर उगाने का काम शुरू किया।
सेब उगाने के लिए ये तरीका अपनाया
वैसे तो विवेक भी यह जानते थे कि सेब उगाना इतना आसान नहीं है लेकिन यह असंभव भी नही है। इसके लिए उन्होनें एयर-पाॅट्स में सैंपलिंग लगाई जिसमें ऐसे कंटेनर्स थे जिसमें किनारे पर छेद था। ऐसा होने से हवा असानी से पौधों की जड़ों तक पहुंचती है और पौधों को बढ़ने में मदद मिलती है। मार्च 2020 में जब इन पौधों मे ंफूल आए तो उस समय विवेक अपनी पत्नी के साथ काम के सिलसिले में अमेरिका सफर कर रहे थे। उस दौरान उनका दोस्त पेड़ों को पानी देता रहा और वह तीन हफ्तों तक पेड़ों को पानी देता रहा। लेकिन लाॅकडाउन की वजह से दोनो को अमेरिका में 4 माह तक रूकना पड़ा। तब तक फूलों की जगह फल ही आ गए थे। विवेक ने लगभग 300 प्रकार के फलों को लगाया है जिसमें अवाकाडो की 6 वैरायटी और 4 खट्टे फलों की वैरायटी है।