Explained new rules for e-commerce companies: digi desk/BHN/ केंद्र सरकार ने कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ई-कॉमर्स नियमों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। ताकि वह ढांचा तैयार किया जा सके, जिसके तहत कंपनियां कार्य करती है। वहीं ई-कॉमर्स नियमों में कई प्रस्तावों का उद्देश्य ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के लिए उनके द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं के लिए देनदारियां बढ़ाना है।
क्या ऐसे कोई बदलाव उपयोगकर्ताओं को प्रभावित करेगा?
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी ड्रॉफ्ट नियम ई-कॉमर्स कंपनियों के कथित फ्लैश सेल पर अकुंश लागने की मांग की है। जबकि नियमों के अनुसार ई-कॉमर्स फ्लैश बिक्री पर प्रतिबंध नहीं है। स्पेसिफिक फ्लैश सेल और बैक-टूक बैक सेल जो ग्राहकों की पसंद को सीमित करती है, कीमतों को बढ़ाती है और एक समान अवसर को रोकती है। इसके भी परमिशन नहीं है। इन नियमों को फॉल-बैक लायबिलिटी की अवधाकरण में पेश किया गया है। जो कहता है कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर विक्रेता की लापरवाही के कारण सेवाओं को देने में असफल होता है तो ग्राहक को नुकसान उठाना पड़ता है। कई केस में उनके मार्केट से खरीदे गए सामनों में भी समस्याएं आती हैं। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कस्टमरों की शिकायत को हल करने के लिए संबंधित विक्रेताओं को निर्देशित करते हैं। नियमों में ई-कॉमर्स कंपनियों के सर्च इन्डेक्सेस से प्रतिबंधित करने का भी प्रस्ताव रखा गया है।
ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए बदलाव?
किसी भी ऑनलाइन रिटलेर को सबसे पहले डिपार्टमेंट ऑफ प्रमोशन फॉर इंडस्ट्री और इंटरनल ट्रेड में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। नियमों अनिवार्य किया गया है कि मार्केटप्लेस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को लॉजिस्टिक्स सेवा समान श्रेणी के विक्रेताओं के बीच विभेदित व्यवहार प्रदान नहीं करेगा। शॉपिंग वेबसाइट से संबंधित पार्टियों और संबद्ध उद्यमों को संबंधित प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं के रूप में सहायता प्राप्त करने की परमिशन नहीं होगी।
आईटी मध्यस्थ नियमों के साथ समानताएं?
सोशल मीडिया कंपनियों की तरह मंत्रालय ने ई-कॉमर्स कंपनियों को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ 24 घंटे 7 दिन समन्वय के लिए एक शिकायत अधिकारी, एक मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक नोडल सपंर्क व्यक्ति की नियुक्ती करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रावधान में ई-कॉमर्स कंपनियों को सरकारी एजेंसी के साथ जानकारी शेयर करने को कहा गया है। नए प्रस्तावित नियमों में सरकारी एजेंसी द्वारा मांगी गई जानकारी को ई-कॉमर्स कंपनी को 72 घंटों के अंदर देनी होगी।