MP High Court: digi desk/BHN/जबलपुर/ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बक्सवाहा में हीरा खनन के लिए पेड़ों की कटाई की अनुमति के मामले में जवाब-तलब कर लिया है। इसके लिए केंद्र व राज्य शासन, आदित्य बिड़ला ग्रुप की एस्सेल माइनिंग कंपनी सहित अन्य को तीन सप्ताह का समय दिया गया है।
ढाई लाख से अधिक हरे-भरे पेड़ों के कत्लेआम की तैयारी
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अधिवक्ता सुदीप कुमार सैनी ने अपना पक्ष स्वयं रखा। उन्होंने दलील दी कि राज्य के छतरपुर इलाके में बक्सवाहा जंगल के बीच दबे करीब 50 हजार करोड़ के हीरे हासिल करने के लिए ढाई लाख से अधिक हरे-भरे पेड़ों का कत्लेआम करने की तैयारी कर ली गई है। इसे लेकर आंदोलन शुरू हो गया है। वन अधिकार कार्यकर्ता इस क्षेत्र में रहने वाले वन्य प्राणियों व आम जनता के हित को देखते हुए पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहे हैं। इंटरनेट मीडिया के जरिये अभियान भी छेड़ दिया गया है।
पेड़ आक्सीजन के स्रोत
जनहित याचिकाकर्ता ने बहस के दौरान साफ किया कि कोरोना काल में आक्सीजन की अहमियत सामने आ चुकी है। पेड़ आक्सीजन के स्रोत होते हैं। लिहाजा, उनको हीरे से अधिक कीमती समझा जाना चाहिए। भौतिक संपदा से अधिक कीमती है-नैसर्गिक प्राकृतिक संपदा सागौन, पीपल, तेंदू, जामुन, बहेड़ा, अरजुन सहित अन्य औषधीय महत्व के पेड़ों को बचाया जाना आवश्यक है। आलम यह है कि हीरा हासिल करने की सनक में रिपोर्ट तक बदली जा रही हैं। पहले के सर्वे में इस जंगल में जो जंगली प्राणी पाए जाते थे, वे अब नदारद दर्शाये जा रहे हैं।