Loan Repayment:digi desk/BHN/ RBI लगातार बैकिंग क्षेत्र में सुधार लाने के लिए नए-नए नियम जारी करता है। रिजर्व बैंक ने एक नया प्रस्ताव जारी करते हुए माइक्रोफाइनेंस सेक्टर के लिए एक यूनिफाॅर्म रेगुलेटरी फ्रेमवर्क जारी किया है, इस फ्रेमवर्क में कई तरह के प्रस्ताव भी दिए गए हैं। जिसमें से एक है सेक्टर के लिए ब्याज दर की सीमा को हटाने और लोन प्रीपेमेंट पर कोई पेनाल्टी न लगाए जाने का प्रावधान शामिल है। इस प्रस्ताव के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक कंसल्टिव डाॅक्यूमेंट तैयार किया है।
माइक्रोफाइनेंस के लिए ब्याज दर को कम करने के इरादे से रिजर्व बैंक ने कहा कि हमारा मकसद पूरे माइक्रोफाइनेंस सेक्टर के लिए ब्याज दरों को नीचे लाने के लिए मार्केट मैकेनिज्म को मजबूत बनाया जाए। बतादें कि इस नियम के तहत माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस और नाॅन बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज माइक्रोफाइनेंस सेक्टर के लिए किसी भी अन्य नाॅन बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज की तरह बोर्ड अप्रूव्ड पाॅलिसी और फेयर प्रैक्टिस कोड से चलेगें, जहां पर डिस्क्लोजर और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। इतना ही नहीं ब्याज दरों के लिए कोई भी सीमा निर्धारित नहीं होगी। इसके लिए कर्जदाता को यह सुनिश्चित करना पड़ेगा की बेवजह ही बढ़ाचढ़ा कर ब्याज न वसूला जाए।
RBI द्वारा जारी किए गए इस प्रस्ताव से गरीब और कम इनकम वाले लोगों को फायदा होगा। दरअसल माइक्रोफानेंस के जरिए गरीबों को और कम इनकम वालों को छोटे लोन और वित्तीय सेवाएं दी जाती है। वर्तमान समय की अगर बात करें तो रिजर्व बैंक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क सिर्फ एनबीएफसी-एमआईएस पर ही लागू होता है। जबकि बाकी कर्जदाता जिनके माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो में करीब 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है वे अभी इस रेगुलेटरी शर्तों के अधीन नहीं आते हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि कंसल्टेशन पेपर के मुताबिक एक माइक्रोफाइनेंस का मतलब ग्रामीण क्षेत्रों में 1.25 लाख रूपये और शहरी क्षेत्रों में 2 लाख रूपये की सालाना आय वाले परिवारों को कोलैटरल फ्री लोन देना है। आरबीआई ने माइक्रोफाइनेंस लोन के रीपमेंट की ज्यादा लचीली फ्रीक्वेंसी और किसी कोलैटरल की जरूरत नहीं होने का भी प्रस्ताव दिया है।
नहीं लगेगी प्रीपेमेंट पर कोई पेनल्टी
रिजर्व बैंक के कंसल्टेशन पेपर के तहत सभी रेगुलेटेड एंटिटीज के पास बोर्ड से पास एक पॉलिसी होगी जो माइक्रोफाइनेंस उधारकर्ताओं को उनकी जरूरत के हिसाब से लोन चुकाने का लचीलापन देगी। कस्टमर प्रोटेक्शन के तौर पर सभी रेगुलेटेड एंटिटीज (REs) के माइक्रोफाइनेंस उधारकर्ताओं को प्रीपेमेंट का अधिकार होगा और उन पर इसके लिए कोई पेनल्टी नहीं लगाई जाएगी, जैसा कि NBFC-MFIs के मामले में होता है।