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Surya Gochar: सूर्यदेव का मिथुन राशि में प्रवेश, इन राशि के लोग हो जाएं सावधान

Surya Gochar 2021: digi desk/BHN/10 जून को लगे सूर्य ग्रहण के बारे में तो सभी जनते हैं। लेकिन हम यहां पर बात सूर्य ग्रहण की नहीं बल्कि संक्रांति की कर रहे हैं। दरअसल सूर्य ग्रहण के ठीक 5 दिन बाद यानी 15 जून मंगलवार को संक्रांति पड़ रही है जिसे लेकर ज्योतिष के अनुसार माना जा रहा है कि यह वही दिन है, जब सूर्य अपनी राशि में परिवर्तन करेगा। स्पष्टतौर पर अगर आपको बताएं तो सूर्य अभी फिलहाल वृष राशि में विद्यमान है वहीं अब सूर्य ग्रहण के 5 दिन बाद यानी संक्रांति को यह अपनी राशि का परिवर्तन कर मिथुन राशि में प्रवेश कर रहा है और इस परिवर्तन को ही संक्रांति कहते हैं।

ऐसे होते हैं मिथुन राशि वाले जातक

मिथुन राशि वाले जातकों के स्वाभाव की अगर बात करें तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राशि चक्र में तीसरा स्थान मिथुन को प्राप्त होता है। इस राशि के जातकों का स्वभाव दोहरा होता है इस वजह से इसे द्विभाव वाली राशि माना गया है। दूसरों के अधीन रहना इन्हे कतई पसन्द नहीं है ये लोग काफी बुध्दिजीवी होते हैं। इन जातकों में कई तरह की प्रतिभाएं पाई जाती हैं। प्रेम के मामलों में यह स्वतंत्र होते हैं और कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार होते हैं। यह दूसरों पर विश्वास कम ही करते हैं और अपने राज की बातें इतनी आसानी से किसी को नहीं बताते। इन्हें कई बार बातें समझ में नहीं आती और ये रिश्ते निभाने के साथ-साथ दोस्ती निभाने में भी निपुण माने गए हैं।

कब और कितने समय तक सूर्य मिथुन राशि में विद्यमान रहेगें

हिन्दू पंचांग के अनुसार सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश ग्रहण के ठीक 5 दिन बाद होगा। यानी 10 जून को सूर्य ग्रहण हुआ था उसके ठीक 5 दिन बाद यानी 15 जून दिन मंगलवार को सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करेगा। मिथुन राशि में प्रवेश करने का समय सुबह 05ः49 बजे होगा। मिथुन राशि में सूर्य देव 16 जुलाई 2021 शाम 04ः41 मिनट तक विद्यमान रहेगें। इसके बाद सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेगे।

किन बातों का ध्यान रखना जरूरी 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जैसे सूर्यग्रहण मानव जाति को प्रभावित करता है ठीक वैसे ही सूर्य जब राशि परिवर्तन करता है तब भी व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। जी हां जब सूर्य मिथुर राशि में प्रवेश करते हैं तो व्यक्ति को स्वच्छता के नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए। क्योंकि इस दौरान संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए माना गया है कि इस गोचर काल में व्यक्ति को अनुशासित जीवन शैली को अपनाना चाहिए और खान-पान पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।

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