New Covid Variant: digi desk/BHN/ कोरोना धीरे-धीरे अपने प्रभाव को बदल रहा है और ये नए-नए वेरिएंट के साथ दस्तक दे रहा है। इसी बीच इसके लक्षणों में भी बदलाव देखने को मिल रहे है। कोरोना की पहली लहर इतनी घातक नहीं थी जितनी दूसरी लहर ने तबाही मचा दी। कोरोना वायरस को लेकर एक नई खबर यह आ रही है कि इस वायरस का एक नया वेरिएंट का पता चला है। जो यूनाइटेड किंगडम और ब्राजील से भारत आए लोगों में देखने को मिला है। इस वेरिएंट को लेकर यह बताया जा रहा है कि यह संक्रमित लोगों में गंभीर लक्षण पैदा कर सकता है।
जी हां नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी ने अपनी पैथोजेनिसिटी की जांच में कोविड-19 के नए वेरिएंट बी.1.1.28.2 का पता लगाया है, यह वेरिएंट गंभीर रूप से बीमार करता है। स्टडी में वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन असरदार है या नहीं, इसके लिए स्क्रीनिंग की जरूरत बताई गई है। ऑनलाइन bioRxiv में एनआईवी की यह स्टडी को छापा गया है। वहीं दूसरी और पुणे की एनआईवी अपनी एक और स्टडी में यह कहती है कि कोवेक्सिन इस वेरिएंट में कहीं हद तक कारगर है। स्टडी में बताया गया है कि वैक्सीन की दो डोज से जो एण्टीबाॅडीज बनती है वे इस वेरिएंट को न्यूट्रलाइज करने में सक्षम है।
डेल्टा वेरिएंट कोरोना की दूसरी लहर का कारण
नेशनल सेंटर फाॅर डिजीज कंट्रोल और INSACOG के वैज्ञानिकों ने पिछले दिनों रिसर्च में पाया था कि दूसरी लहर ने जो तहलका मचाया है। उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ डेल्टा वेरिएंट का है। यह वेरिएंट पहले मिले अल्फा वेरिएंट से 50 प्रतिशत तक ज्यादा खतरनाक है। दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वेरिएंट सभी राज्यों में मिला है लेकिन इसने सबसे ज्यादा ओडिशा, तेलंगाना, गुजरात, आंध्रप्रदेश और दिल्ली में लोगों को संक्रमित किया है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की स्टडी में यह पाया गया कि बी.1.1.28.2 वेरिएंट ने संक्रमित सीरियाई चूहों पर बहुत से प्रतिकूल प्रभाव दिखाए हैं। जिनमें फेफड़ों में घाव होना, श्वसन तंत्र में वायरस की काॅपी बनाना, वजन कम होना जैसे नुकसान देखे गए हैं। इसमें SARS-CoV-2 के जीनोम सर्विलांस की जरूरत पर जोर दिया गया है। ताकि इम्यून सिस्टम से बच निकलने वाले वेरिएंट्स को लेकर तैयारी की जा सके।