Fake Remdesivar Racket In Jabalpur : digi desk/BHN/जबलपुर/सिटी हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों के स्वजन से रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए 18-18 हजार रुपये से ज्यादा वसूले गए। शीतला माई घमापुर निवासी अभिषेक श्रीवास्तव ने यह आरोप लगाकर आरोपितों की मुश्किल बढ़ा दी है। शिकायत एसआइटी को की गई है, जिसे जांच में शामिल कर लिया गया है। अभिषेक का आरोप है कि कोरोना संक्रमित उनके मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने के लिए प्रति इंजेक्शन 18 हजार 400 रुपये वसूले गए। जिसका बिल मांगने पर जवाब मिला ब्लैक में खरीदे गए इंजेक्शन का बिल नहीं मिलता। अभिषेक ने बताया कि उन्होंने अपनी बुआ को 13 अप्रैल को कोरोना उपचार के लिए सिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। तीन मई को उनकी मौत हो गई थी।
डॉ. पटेल ने कहा था नहीं हैं इंजेक्शन
अभिषेक ने बताया कि बुआ का एक बेटा कनाडा में है तथा दूसरे की कोरोना से मौत हो चुकी थी। उनमें कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने पर डॉ. प्रदीप पटेल के कहने पर सिटी हॉस्पिटल मेंं भर्ती कराया था। अस्पताल में कार्यरत डॉ. पटेल ने कहा था कि मरीज की जान बचाना चाहते हो तो सिटी हॉस्पिटल में भर्ती करवा दो। कोरोना उपचार में उपयोगी रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी है। कहीं भी उपलब्ध नहीं है। उसने बुआ को अस्पताल में भर्ती करवा दिया। एक लाख रुपये भर्ती के समय जमा कराए गए।
ऐसे शुरू हुई कालाबाजारी
अभिषेक ने बताया कि 14 मई को डॉ. पटेल ने बुआ की जांच की। वे बोले की छह रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने इंजेक्शन की व्यवस्था करने के लिए कहा। वह इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं कर पाया। जिसके बाद डॉ. पटेल ने कहा कि अस्पताल के डायरेक्टर सबरजीत सिंह मोखा ने कुछ इंजेक्शन की व्यवस्था की है परंतु उसके लिए ज्यादा राशि खर्च करनी पड़ेगी। इंजेक्शन खरीदने के लिए सोनिया खत्री से संपर्क करने के लिए कहा गया। उसने सोनिया से संपर्क किया तो उसने कहा कि 18 हजार 400 रुपये के हिसाब से पैसे जमा करने पर वह आठ इंजेक्शन सुरिक्षत रख देगी। आठ इंजेक्शन के लिए दो बार में 73 हजार 600 रुपये उससे जमा कराए गए। उसे बाद में बताया गया कि 20 अप्रैल को इंजेक्शन आ गए थे जो मरीज को लगा दिए गए।
हालत बिगड़ी तो डिस्चार्ज करने दबाव
अभिषेक ने बताया कि छह इंजेक्शन लगने के बाद मरीज की सेहत में सुधार नहीं आया। उन्होंने मरीज की सेहत के बारे में पूछा तो डॉ. पटेल ने अपशब्द कहे और मरीज को डिस्चार्ज करने के लिए दबाव बनाने लगे। 25 अप्रैल को लामा घोषित कर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। इस दौरान उन्हें अस्पताल से 3 लाख 73 हजार 164 रुपये का बिल भरना पड़ा।
बिल में लिखा 5400 रुपये
अभिषेक ने कहा कि उसकी बुआ को दो इंजेक्शन नहीं लगाए गए थे। जिसके लिए मोखा ने 36 हजार 800 रुपये नकद वापस कर दिए थे। जबकि बिल में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत 5400 रुपये लिखी गई थी। पूछे जाने पर मोखा व सोनिया ने कहा कि ब्लैक में मंगाए गए इंजेक्शन की ज्यादा कीमत वसूल की जाती है। उन्होंने कहा कि डॉ. प्रदीप पटेल, मोखा व सोनिया ने मौत का व्यापार किया है।
प्रोडक्शन वारंट पर नहीं ला पाई एसआइटी
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन प्रकरण मेंं आरोपित सपन जैन समेत सरगना को गुजरात से जबलपुर लाने के लिए एसआइटी को इंतजार करना पड़ सकता है।एसआइटी 29 मई को ही प्रोडक्शन वारंट की तामीली गुजरात की जेल में करवा दी थी। इससे पूर्व इंदौर पुलिस ने उन्हें प्रोडक्शन वारंट पर ले लिया था। बताया जाता है कि गुजरात से सपन जैन, सुनील मिश्रा, कौशल वोरा व पुनीत शाह को पूछताछ के लिए जबलपुर लाया जाना है। ओमती थाने में दर्ज एफआइआर में सपन जैन का नाम भी आरोपतों की सूची में शामिल है। इधर, एसआइटी की विवेचना जारी है। सरबजीत सिंह मोखा व देवेश चौरसिया के बयान विरोधाभाषी होने के कारण पुलिस नए सवाल तैयार कर रही है। असल में देवेश का कहना है कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मोखा जिम्मेदार है। सोनिया ने हरकरण और मोखा की पत्नी जसमीत पर आरोप मढ़ने की कोशिश की है। इधर, मोखा का मोबाइल एसआइटी के लिए सिरदर्द बन गया है। मोखा ने बयान में कहा कि मोबाइल अस्पताल में छूट गया था। जबकि एसआइटी को अाशंका है कि मोबाइल को मोखा ने ही छिपा दिया है ताकि नकली इंजेक्शन की खरीदी के प्रमाण मिटाए जा सकें।