Junior doctors strike resignation: digi desk/BHN/ भोपाल/ मप्र हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों को 24 घंटे के भीतर काम पर लौटने को कहा है। इसके बाद भी जूनियर डॉक्टर काम पर नहीं लौटे हैं। उन्होंने अपने-अपने मेडिकल कॉलेजों के डीन को गुरुवार शाम को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया है। इस संदर्भ में सेंट्रल जूडा प्रेसीडेंट डॉ. अरविंद मीणा ने कहा कि सरकार ने उनकी मांगें मानने की सहमति दी थी, लेकिन अब वादा खिलाफी की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन जारी रहेगा। वहीं जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन भी आ गया है।
उधर, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों ने कहा कि सामूहिक इस्तीफा कानूनी तौर पर कोई शब्द नहीं है, न ही इस पर कोई निर्णय लिया जा सकता है। किसी डॉक्टर को इस्तीफा देना है तो व्यतिगत तौर पर दे। अधिकारियों ने यह भी कहा कि जूनियर डॉक्टर यदि काम पर नहीं लौटते हैं तो मेडिकल काउंसिल से भी पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी।
डीएमई ने कहा- विज्ञापन देकर नहीं बुलाया था जूनियर डॉक्टर को
संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. उल्का श्रीवास्तव ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जूनियर डॉक्टर पढ़ाई करने के लिए अपनी पसंद से आए हैं। उन्हें विज्ञापन देकर नहीं बुलाया गया है। वे छात्र हैं। इनका मुख्य काम है पढ़ाई करना। मरीजों का उपचार इनका मूल काम है। यह उनके लिए प्रैक्टिकल है। मानवता के नाते और छात्र होने के नाते कोरोना काल में इस तरह आंदोलन ठीक नहीं है। चिकित्सा शिक्षा आयुक्त निशांत वरवड़े ने कहा कि 2018 के मानदेय में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर बढ़ोतरी करने के प्रस्ताव शासन को भेजा है।