Black fungus:digi desk/BHN/ जैसे-जैसे ब्लैक फंगस बीमारी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, वैसे ही इसके बारे में सोशल मीडिया पर उल्टी-सीधी जानकारियां और बचने के उपाय सामने आ रहे हैं। इन दिनों सोशल साइट की एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि प्याज की परत में या रेफ्रीजरेटर के अंदर दिखाई देने वाली काली परत ही ब्लैक फंगस है। मेडिकल साइंस से जुड़े लोगों ने इसे पूरी तरह गलत बताया है और कहा कि इसका mucormycosis नाम की बीमारी से कुछ भी लेना-देना नहीं है।
विशेषज्ञों के मुताबिक फ्रीज के अंदर जमी काली काई या प्याज पर चढ़ी काली परत और mucormycosis बिल्कुल अलग हैं। एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि mucormycosis एक ब्लैक फंगस नहीं है और ब्लैक फंगस का नाम भी गलत है, क्योंकि ब्लैक फंगस काला नहीं होता। दरअसल इस बीमारी में स्किन में ब्लड सप्लाई रूक जाती है जिससे स्किन पर काला धब्बा पड़ने लगता है। शायद यही वजह है कि इसका नाम ब्लैक फंगस पड़ गया है। लेकिन इसका असली नाम mucormycosis है।
डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि इसके होने की सबसे बड़ी वजह स्टेरॉयड है। अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक स्टेरॉइड लेता है या उसे डायबिटीज जैसी बीमारी है तो उसे फंगल इंफेक्शन होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को अधिक सतर्क रहने और अपनी डायबिटीज को नियंत्रण में रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी को रोकने के लिए तेजी से काम करने की जरूरत है। अगर कोरोना के मामले कम होंगे, तो यह फंगल इंफेक्शन भी घट सकता है।
वैसे देश में mucormycosis या ब्लैक फंगस कही जाने वाली बीमारी बढ़ रही है। कोरोना की दूसरी लहर से हो रही तबाही के बीच देश में इससे 200 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई है। केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी इस बीमारी पर नियंत्रण करने के लिए जल्द कदम उठाने को कहा है। कई राज्यों में इस बीमारी के इलाज के लिए दवाओं की भी कमी है। केंद्र सरकार इन दवाओं की सप्लाई बढ़ाने की कोशिश कर रही है।