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Rice Price in MP: जून से घरेलू बाजार में चावल के दाम बढ़ने के संकेत

Rice Price in MP:digi desk/BHN/ इंदौर/मध्य प्रदेश में एक जून से लाकडाउन के पूरी तरह खोले जाने या न खोले जाने को लेकर अब भी असमंजस बना हुआ है। इस बीच बाजार खुलते ही घरेलू मार्केट में चावल के दाम बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं। विदेश से आ रही निर्यात की मांग और आने वाले दिनों में निर्यात में वृद्धि होने की उम्मीद में कारोबारी दाम में तेजी की बात कह रहे हैं। अब तक तेल से लेकर दालों की महंगाई लगातार बढ़ रही थी, लेकिन चावल के दाम स्थिर बने हुए थे। एक जून के बाद बासमती और गैर बासमती चावल के दाम बढ़ना लगभग तय है। व्यापारी कह रहे हैं चावल मिलों की ओर से दाम में वृद्धि की सूचना बीते दिनों से मिल रही है। हालांकि अब तक देश के ज्यादातर प्रदेशों में लाकडाउन होने और बाजार बंद होने से असर नजर नहीं आ रहा है।

इंदौर के चावल कारोबारी और चावल व्यापारी एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष दयालदास अजीतकुमार के अनुसार इंदौर से मध्य प्रदेश के अन्य शहरों में चावल के दाम तय होते हैं। स्थानीय बाजार में व्यापारियों ने लाकडाउन और उपभोक्ताओं की गिरती क्रयशक्ति को देखते हुए अब तक दाम स्थिर रखे थे। हरियाणा-पंजाब की राइस मिलों की ओर से संकेत मिल रहे हैं कि बाजार खुलने के बाद दामों में इजाफा होगा। अब लोगों के घर में स्टाक खत्म हो चुका है। बाजार में भी स्टाक सीमित है। वार्षिक संग्रहण के लिए खरीदारी का समय भी बारिश से पहले होता है। गरमी में मांग बढ़ती है लेकिन इस बार लाकडाउन ने मांग रोके रखी। मांग बढ़ते ही मिलें दाम बढ़ाकर खोलेंगी। कम से कम बासमती श्रेणी के होल ग्रेन चावल में 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि थोक दामों में होना तय है। टुकड़ी में मिलों ने भाव बढ़ाना भी शुरू कर दिया है। गैर बासमती श्रेणी के चावल में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल दाम बढ़ने के आसार हैं।

निर्यात मांग बढ़ी

कारोबारियों के अनुसार इस सीजन में चावल का उत्पादन ज्यादा हुआ था। जबकि प्रमुख चावल उपभोग करने वाले देशों चीन से लेकर वियतनाम, फिलिपींस, जापान, थाइलैंड में कोरोना के पहले दौर के कारण पहले लाकडाउन लगने और काम रुकने से उत्पादन में कमी आई थी। भारत से चावल का निर्यात भी बढ़ा। अब तक घरेलु बेहतर उत्पादन के कारण कीमतों पर दबाव नहीं आया। गरमी में चावल की उपभोक्ता मांग बढ़ती है। सप्ताहभर पहले फिलिपींस ने भारत से चावल आयात करने पर ड्यूटी में 5 प्रतिशत की कमी कर दी है। कोटे के बाहर अतिरिक्त आयात पर भी ड्यूटी में कटौती की गई है। भारतीय चावल मिलो पर पहले से निर्यात का अच्छा दबाव था। अब मांग और बढ़ने से दाम बढ़ना तय है। द एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथारिटी के अनुसार 2020-21 में भारत से फिलिपींस को करीब 2.5 मिलियन टन चावल (गैर बासमती) निर्यात आंका गया है। बासमती श्रेणी का निर्यात करीब 500 टन तक रहने के आसार हैं। टैक्स कटौती के बाद गैर बासमती श्रेणी में भारत के चावल के दाम अन्य निर्यातक देश जैसे वियतनाम और थाइलैंड से प्रतिस्पर्ध्ाी रहने से फिलिपींस में भारत से चावल निर्यात बढ़ना तय है।

 

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