Friday , May 30 2025
Breaking News

पीएम मोदी ने पूर्ण युद्ध की जगह संतुलित और रणनीतिक तरीके से जवाब दिया, इसकी तारीफ पी चिदंबरम भी कर रहे

नई दिल्ली
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस घटना के बाद देशभर में बदले और बड़ी सैन्य कार्रवाई की मांग उठने लगी। भारतीय सैनिकों ने पहले आतंकी ठिकानों को बर्बाद किया। उसके बाद पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्ण युद्ध की जगह संतुलित और रणनीतिक तरीके से जवाब दिया है। इसकी तारीफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम भी कर रहे हैं। उन्होंने एक लेख के जरिए मोदी सरकारी की युद्ध नीति की सराहना की है।
पी चिदंबरम लिखते हैं-

प्रधानमंत्री मोदी ने पहले भी 16 सितंबर 2022 को रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान राष्ट्रपति पुतिन से कहा था, “यह युद्ध का युग नहीं है।” यह वक्तव्य वैश्विक स्तर पर सराहा गया और भारत की छवि को एक शांतिप्रिय राष्ट्र के रूप में मजबूत किया। इसी सोच के तहत भारत ने इस बार भी संयम बरता।

7 मई 2025 को भारतीय सेना ने सीमित सैन्य कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में कुल 9 ठिकानों को मिसाइल और ड्रोन हमलों से निशाना बनाया। इन हमलों में आतंकवादी संगठनों द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के बुनियादी ढांचे को नष्ट किया गया।

भारत की इस कार्रवाई में किसी नागरिक या पाकिस्तान की सैन्य संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया गया, जिससे यह स्पष्ट संदेश गया कि भारत युद्ध नहीं, परन्तु न्याय चाहता है। इसके बावजूद पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी के जरिए जवाब मिला। 8 मई को पाकिस्तान ने मिसाइल, ड्रोन और वायुसेना का इस्तेमाल करते हुए जवाबी कार्रवाई की, जिसका भारत ने फिर से मापी गई और प्रभावी प्रतिक्रिया दी।

भारत की कार्रवाई के बावजूद यह मानना भूल होगी कि आतंकी संगठन पूरी तरह खत्म हो गए हैं। इन संगठनों का नेतृत्व अभी भी सक्रिय है और पाकिस्तान में उन्हें लगातार समर्थन मिलता रहा है। जब तक पाकिस्तान की सेना और ISI आतंकवाद को बढ़ावा देते रहेंगे, भारत के लिए खतरा बना रहेगा।

इस संघर्ष में कुछ भारतीय नागरिकों की जान गई है और कुछ सैन्य नुकसान भी हुआ है। पाकिस्तान की ओर से भारतीय विमान गिराने के दावे को उसके ही रक्षा मंत्री बीबीसी इंटरव्यू में प्रमाणित नहीं कर सके, जिससे पाकिस्तान की स्थिति हास्यास्पद हो गई।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अब तक कश्मीर में तीन बड़े आतंकी हमले हुए हैं। उरी, पुलवामा और अब पहलगाम। हर बार सरकार ने सीमित परंतु निर्णायक जवाब दिया है। इस बार सरकार ने नक्शे और वीडियो जारी कर पारदर्शिता का परिचय भी दिया। दो युवा महिला सैन्य अधिकारियों को मीडिया ब्रीफिंग में शामिल करना इस दिशा में एक सराहनीय कदम था।

हालांकि, प्रधानमंत्री की ओर से 24 अप्रैल और 7 मई को हुई सर्वदलीय बैठकों में अनुपस्थित रहना और अभी तक पहलगाम या पीड़ित परिवारों का दौरा न करना आलोचना का कारण बन रहा है। इसकी तुलना मणिपुर संकट के दौरान उनकी अनुपस्थिति से की जा रही है।

पाकिस्तान की दुविधा
अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है। यदि पाकिस्तान तनाव बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ा तो उसे वैश्विक निंदा झेलनी पड़ सकती है, विशेषकर OIC जैसे मंचों पर। भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अगर युद्ध चाहिए, तो भारत तैयार है। समझदारी इसी में है कि पाकिस्तान अब इस मामले को यहीं समाप्त करे, आतंकियों पर लगाम लगाए और तनावपूर्ण शांति की ओर बढ़े। लेकिन सवाल यही है कि पाकिस्तान में सत्ता वास्तव में किसके हाथ में है। प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की कमजोर सिविल सरकार या सेना और ISI के हाथों की कठपुतली?

 

About rishi pandit

Check Also

भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी, चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.4% रही

नई दिल्ली देश की आर्थिक विकास दर में जबरदस्त तेजी आई है. जनवरी मार्च तिमाही …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *