NCERT Book:digi desk/BHN/ नई दिल्ली/ एनसीईआरटी की पहली कक्षा की हिंदी की किताब में प्रकाशित एक कविता पर सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा होने के बाद इस कविता को जहां कोर्स से बाहर करने की मांग की जा रही है। वहीं NCERT ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि ये कविता स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुंचाने के उद्देश्य से शामिल की गई है। NCERT ने कहा कि एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक में दी गई कविताओं के संदर्भ में NCF-2005 के परिप्रेक्ष्य में स्थानीय भाषाओं की शब्दावली को बच्चों तक पहुंचाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए इस तरह की कविताएं मुख्य तौर पर शामिल की गई है, ताकि बच्चों के लिए सीखना रूचिपूर्ण हो सके। NCERT ने साथ ही यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। इसी पाठ्यचर्या की रूपरेखा के आधार पर पाठ्यपुस्तकों का निर्माण किया जाएगा।
ये है विवाद
दरअसल NCERT की पहली कक्षा की हिंदी कविता में एक स्थान पर ‘छोकरी’ शब्द को लेकर सोशल मीडिया पर बीते कई दिनों से विवाद खड़ा किया जा रहा है। हिंदी भाषा के कई जानकार और सोशल मीडिया यूजर्स इस कविता को पाठ्यपुस्तक से हटाने की मांग कर रहे थे। कुछ लोगों का मानना है कि ‘छोकरी’ शब्द आवारा बोलचाल का शब्द है।
साथ ही यह भी तर्क दिया जा रहा है कि पहली कक्षा के छात्र अगर इस शब्द को पढ़ेंगे तो उनके मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा यह भी तर्क है कि कविता में 6 साल की बच्ची से आम बिकवाकर बाल मजदूरी को दर्शाया जा रहा है। इस तरह के तमाम सोशल मीडिया विमर्श और विरोध के बाद इस कविता पर NCERT ने सफाई दी है।
इस कविता पर है विवाद
छह साल की छोकरी,
भरकर लाई टोकरी।
टोकरी में आम हैं,
नहीं बताती दाम है।
दिखा-दिखाकर टोकरी,
हमें बुलाती छोकरी।
हम को देती आम है,
नहीं बुलाती नाम है।
नाम नहीं अब पूछना,
हमें आम है चूसना।
गौरतलब है कि इस कविता को रामकृष्ण शर्मा खद्दर ने लिखी है। इस कविता को पहली कक्षा के बच्चे 2006 से लगातार पढ़ रहे हैं। साल 2018 से उत्तराखण्ड के बच्चे भी अब इस कविता को पढ़ रहे हैं। यह कविता NCERT द्वारा तैयार की गई किताब रिमझिम-1 का हिस्सा है।