Fertilizer prices in Madhya Pradesh:digi desk/BHN/भोपाल/ मध्य प्रदेश के किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाली खबर है कि उनकी फसल की लागत बढ़ेगी। इसकी वजह खाद की कीमतों में भारी बढ़ोतरी होना है। फरवरी तक एक बोरी खाद 1200 रुपये में मिल रही थी, जो अब अचानक 1900 रुपये हो गई है। कई कंपनियों ने इस कीमत पर भी खाद की आपूर्ति से हाथ खड़े कर दिए हैं। हालांकि सरकार की तरफ से कम कीमत के दौरान ही एक लाख टन डीएपी और 10 हजार टन एनपीके खरीद लिया था, जिससे किसानों के करीब 150 करोड़ रुपये बच गए।
बढ़ी कीमतों से किसानों को राहत देने के लिए खाद पर सब्सिडी बढ़ाई जा सकती है, लेकिन जारी वित्तीय वर्ष के लिए सब्सिडी की दरों में बदलाव न कर यथावत रखा गया है। दूसरी तरफ सरकार किसानों को आधा खाद पुरानी कीमत का और आधा बढ़ी हुई कीमतों का दे रही है। अभी किसान फसल के लिए खेतों में तैयारी कर रहे हैं, उन्हें खाद की जरूरत 25 मई के बाद से होगी, ये मांग जून से तेजी पकड़ सकती है, तब खाद के लिए संकट की स्थिति निर्मित होने की आशंका है।
खाद संकट के संकेत
खाद की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद प्रदेश में स्थिति संतोषजनक नहीं मानी जा सकती। पिछले साल प्रदेश में सरकारी और खुले बाजार से 10 लाख टन खाद की आपूर्ति हुई थी। अभी सरकार ने एक लाख 18 हजार टन डीएपी खाद की व्यवस्था कर ली है। पूरी जरूरत छह से साढ़े छह लाख टन की होगी। वहीं, खुले बाजार में भी तीन लाख टन की आपूर्ति अलग से होगी। कंपनियां सरकार और बाजार दोनों को माल देती हैं तो ऐसे में अभी मध्य प्रदेश में करीब साढ़े नौ लाख टन खाद की जरूरत पड़ेगी। चूंकि कीमतों में इजाफा हुआ है और खुले बाजार की हालत ठीक नहीं है तो खाद को लेकर संकट की स्थिति बन सकती है।
ये भी गड़बड़ी
आइपीएल कंपनी द्वारा जबलपुर, शिवपुरी, रीवा और मंदसौर सहित कई शहरों में पीले और सफेद रंग की बोरियों में 1900 रुपये की कीमत का डीएपी दिया जा रहा है, जबकि बोरियों पर पैकिंग दिसंबर 2020 अंकित है। तब खाद की कीमत 1200 रुपये थी। स्पष्ट है कि कंपनियां पुराना माल बढ़े हुए दाम पर बेच रही हैं। इस प्रकार की बोरियां 1900 रुपये में बेचने पर मप्र सहकारी विपणन संघ पर एमआरपी बदल कर बेचने के आरोप लग रहे हैं।