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दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त

नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. वह 70 सदस्यीय विधानसभा में लगातार तीसरी बार अपना खाता खोलने में नाकाम रही है. हालांकि, कांग्रेस के वोट शेयर में 2.1% का मामूली सुधार हुआ है. जबकि उनके कई प्रमुख नेताओं को करारी हार का सामना करना पड़ा. वहीं. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया है कि वो लोगों का विश्वास फिर से जीतेंगे और 2030 में अपनी सरकार बनाएंगे. दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एक बार फिर सफाया गया. पार्टी के अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. कांग्रेस के सिर्फ तीन उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहे. जिनमें कस्तूरबा नगर से अभिषेक दत्त जो दूसरे स्थान पर रहने वाले एकमात्र कांग्रेसी नेता हैं. इस लिस्ट में नांगलोई जाट से रोहित चौधरी और बादली से देवेंद्र यादव शामिल हैं. ज्यादातर कांग्रेस उम्मीदवार बीजेपी या आप के बाद तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन कुछ सीटों में कांग्रेस के उम्मीदवार एआईएमआईएम के उम्मीदवारों से भी पीछे रहे. जिसमें मुस्लिम बहुल क्षेत्र शामिल हैं.

ये उम्मीदवार रहे तीसरे नंबर पर
दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव खुद बादली सीट पर तीसरे स्थान पर रहे, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा कालकाजी में तीसरे स्थान पर रहीं और पूर्व मंत्री हारून यूसुफ बल्लीमारान में तीसरे स्थान पर थे, जिसका उन्होंने 1993 से 2013 के बीच पांच बार प्रतिनिधित्व किया था.

कांग्रेस ने बिगाड़ा आप का खेल
कांग्रेस के वोट शेयर में मामूली सुधार ने आप आदमी पार्टी को भारी नुकसान पहुंचाया है. कांग्रेस आप के लिए खेल बिगाड़ने में कामयाब रही, जिसे अनुसूचित जाति और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भारी नुकसान उठाना पड़ा, जहां कांग्रेस ने आप की कीमत पर मामूली बढ़त हासिल की और भाजपा को फायदा हुआ. चुनाव में आप के वोट शेयर में 10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. आम आदमी पार्टी को 43.19 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि 2020 के चुनाव में 53.6 प्रतिशत वोट शेयर मिला था. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वोट शेयर में 2.1 प्रतिशत का सुधार हुआ है, लेकिन ये वोट शेयर सीट में तब्दील नहीं हो पाया. पार्टी को 2020 के विधानसभा चुनावों में 4.3 प्रतिशत के मुकाबले 2025 के चुनाव में 6.39 प्रतिशत वैध वोट मिले हैं.

साल 2008 में कांग्रेस का वोट शेयर 40.31 प्रतिशत (पिछली बार जब कांग्रेस ने दिल्ली में सरकार बनाई थी) था. कांग्रेस का ये प्रतिशत साल 2013 में गिरकर 24.55 प्रतिशत पहुंच गया, 2015 में 9.7 प्रतिशत और 2020 में 4.3 प्रतिशत पर पहुंच गया था.वहीं, AAP ने कांग्रेस के वोट शेयर में सेंध लगाकर 2013 में 29.6 प्रतिशत, 2015 में 54.6 प्रतिशत और 2020 में 53.6 प्रतिशत वोट हासिल किया था.
 
पार्टी के एक नेता ने कहा, 'हमने जो खोया था, उसका कुछ हिस्सा वापस पा लिया है. ये लड़ाई जारी रहेगी.' कांग्रेस नेताओं को लगता है कि अब ये एक लंबी और कठिन लड़ाई है, क्योंकि पार्टी लगभग 5.8 लाख वोट हासिल करने में सफल हो सकती है, जो 2020 में 3.95 वोट से थोड़ा अधिक है. लेकिन 2015 में 8.67 लाख वोट और 2013 में 1.93 करोड़ वोट से बहुत दूर है जब उसने 8 सीटें जीती थीं. 2008 में कांग्रेस को 2.49 करोड़ वोट मिले थे, जब उसने 43 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी.

इसके इतर कांग्रेस का पतन और उसकी बिगड़ती स्थिति का असर इंडिया ब्लॉक की एकता जुटता पर पड़ेगा, क्योंकि इंडिया ब्लॉक में पहले ही कांग्रेस बैकफुट पर है. कांग्रेस के साझेदार वैचारिक मुद्दों और चुनावी तालमेल को लेकर अलग-अलग राय रखते रहे हैं. बिहार में विधानसभा चुनावों में इंडिया ब्लॉक के साझेदारों के बीच तनातनी दिख सकती है. हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन से विपक्षी गुट में उसकी प्रमुख स्थिति और भी कम हो जाएगी. इसलिए जबकि कांग्रेस और AAP ने दिल्ली, चंडीगढ़ और हरियाणा में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन किया था, लेकिन उन्होंने दिल्ली में अकेले लड़ने का फैसला किया.

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