नई दिल्ली
जेपी नड्डा बीते 4 सालों से अधिक समय से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हुए हैं। उनका कार्यकाल बीते साल ही समाप्त हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए उन्हें विस्तार मिल गया था। अब इलेक्शन के नतीजे आए भी 6 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन अब तक भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ही हैं। इस बीच पार्टी में संगठन बदलने की कवायद तेज हो गई है और सूत्रों का कहना है कि संक्रांति के बाद भाजपा को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। इसे लेकर बैठकें शुरू हो चुकी हैं और जल्दी ही किसी नेता के नाम पर मुहर लग सकती है। सूत्रों का कहना है कि भूपेंद्र यादव, अनुराग सिंह ठाकुर, शिवराज सिंह चौहान समेत कई ऐसे नेता हैं, जिन्हें अध्यक्ष बनाने का फैसला हो सकता है।
फिलहाल पार्टी 15 जनवरी तक जिला और राज्य के अध्यक्ष बना लेना चाहती है। संक्रांति तक कम से कम आधे राज्यों को नए अध्यक्ष मिल जाएंगे और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा। खबर है कि महीने के अंत तक पार्टी को नया अध्यक्ष मिल सकता है। रविवार को भाजपा ने इस संबंध में मुख्यालय में मीटिंग भी बुलाई थी। इस मीटिंग में संगठन महामंत्री बीएल संतोष के अलावा जेपी नड्डा समेत कई अधिकारी मौजूद थे। इस मीटिंग में संगठन पर्व को लेकर भी चर्चा हुई है। इसके तहत सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है। पार्टी का मानना है कि एक फुल प्रूफ व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे पता चल सके कि कौन संगठन से जुड़ रहा है। पार्टी नेताओं के अनुसार यह तैयारी है कि घर-घर जाकर भी सदस्य बनाए जाएं। इससे लोगों तक पहुंच बनाने का एक मौका पार्टी को मिल सकेगा।
बता दें कि इसी साल अक्टूबर में भाजपा ने 10 करोड़ सदस्यों का आंकड़ा पार कर लिया था। रविवार को जेपी नड्डा और बीएल संतोष ने संगठन चुनाव का जायजा लिया। एक अधिकारी ने कहा कि यह सफल मीटिंग थी। हमने संगठन के सभी पहलुओं पर विचार किया। इस मीटिंग में यह भी तय हुआ है कि अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती को पूरे वर्ष मनाया जाएगा। साल भर इस अवसर पर अलग-अलग कार्य़क्रम का आयोजन होगा।
पूरे साल अटल जी की जयंती को सुशासन वर्ष के तौर पर मनाया जाएगा। फिलहाल पार्टी का जोर इस बात पर है कि संक्रांति तक जिला और राज्यों के अध्यक्ष तय कर लिए जाएं। उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाए। बता दें कि आमतौर पर किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत संक्रांति के बाद ही की जाती है। हिंदू धर्म की इस मान्यता का भाजपा की ओर से भी पालन होता रहा है।