ग्वालियर/भिंड
मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है। बता दें कि गोरमी के कृपे का पुरा में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल में 9 दिसंबर को निशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर लगाया गया था जिसमें कई बुजुर्गों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था।
वहीं, अब इस मामले में ताजा जानकारी के अनुसार, शिविर में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने वाले 8 मरीजों को दिखना बंद हो गया है। बता दें कि ग्वालियर के कालरा हॉस्पिटल में ऑपरेशन किया गया था।
अस्पताल प्रबंधन ने दिया ये जवाब
मामले को लेकर अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि ऑपरेशन के बाद मरीजों को कुछ दिन धुएं से दूर रहने और अन्य सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है, हो सकता है इन मरीजों ने सावधानी न बरती हो।
ग्वालियर लाकर ऑपरेशन किया गया था
शिविर खत्म हो जाने के बाद चिह्नित मरीजों को कालरा हॉस्पिटल यूनिवर्सिटी रोड थाटीपुर ग्वालियर में ले जाकर ऑपरेशन किया गया। बुधवार को मरीज और उनके स्वजन डॉक्टरों की शिकायत लेकर गोरमी थाने पहुंचे। उनका कहना है कि ऑपरेशन के बाद जब हमने डॉक्टर से आंख से दिखाई न देने की बात कही तो उन्होंने आंख में ड्राप डालने की बात कहकर अनसुना कर दिया।
पहले तो हमें आंख से थोड़ा बहुत दिखाई भी देता था, लेकिन अब बिल्कुल दिखना बंद हो गया है। गोरमी के रामनाथ कॉलेज में भृत्य चपरा निवासी चिरौंजी लाल सखवार का कहना था कि उसने डॉक्टर से कहा कि दाहिने आंख से कम दिखता है, इसी का ऑपरेशन होना है, लेकिन डॉक्टर ने बाईं आंख का ऑपरेशन कर दिया। ऐसे में अब दोनों ही आंखों से दिखना बंद हो गया है।
इन मरीजों की गई रोशनी
चिरौंजी लाल संखवार (60), राजवीर सिंह (45), चुन्नी बाई (65), भागीरथ (70) यह सभी चपरा के निवासी, भूरीबाई (58) डोंगरपुरा, चमेलीबाई (60) निवासी ग्वालियर विक्रमपुरा महाराजपुरा।
कैसे दिखना बंद हुआ ये समझ नहीं आ रहा
ऑपरेशन करने पट्टट्टी खोली जाती बाद जब है तो मरीज से पूछा जाता है कि आपको कैसे दिख रहा है। मरीजों ने उस वक्त आंख से ठीक दिखने की बात कही थी। लेकिन अब उन्हें कैसे दिखना बंद हो गया ये समझ नहीं आ रहा। ऑपरेशन के बाद मरीजों को कुछ दिन धुएं से दूर रहने व अन्य सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है, हो सकता है इन मरीजों ने सावधानी न बरती हो। – डॉ. रोहित कालरा, एमबीबीएस एमएस, नेत्र रोग विशेषज्ञ, कालरा हॉस्पिटल ग्वालियर