कानपुर.
जबलपुर के व्यापारी की बेटी पूजा कानपुर में व्यापारी के घर ज्योति बनकर तो आई लेकिन ज्यादा दिन तक ससुराल का सुख नहीं भोग पाई। पत्नी ने तो ज्योति बनकर ससुराल को रोशन करने की कोशिश की लेकिन पीयूष पति बनकर ज्योति से अपने जीवन को रोशन नहीं कर पाया। शादी के सिर्फ 20 माह में ही पति ने पत्नी को मौत के घाट उतारने का षड़यंत्र रच डाला।
ज्योति की मौत के साथ पीयूष ने अपनी आजादी की लौ को भी बुझा दिया है अब उसे जीवन भर जेल की सीखचों में कैद रहना होगा। जबलपुर में 1 सितंबर 1988 को जन्मी पापा शंकरलाल नागदेव और मम्मी माया देवी उर्फ कंचन की बेटी पूजा पढ़ाई में गोल्ड मेडलिस्ट रही। 28 नवंबर 2012 को पीयूष ने पूजा संग सात फेरे लिए और उसे अपने घर की ज्योति बनाने का वचन दिया। सात जन्म तक साथ निभाने का वादा करने वाला पीयूष सिर्फ 20 माह में ही ज्योति की हत्या का षड़यंत्र रच बैठा। 27 जुलाई 2014 की रात पीयूष ने अपने मंसूबों को अंजाम दिया और भाड़े के हत्यारों से ज्योति को मौत के घाट उतरवा दिया। मासूम बनने का ढोंग रचने वाला पीयूष पुलिस की निगाहों से बच न सका और उसे जेल जाना पड़ा। छह साल जेल में रहने के बाद उसे जमानत मिली लेकिन आजादी ज्यादा दिन तक उसके साथ नहीं रही। 21 अक्टूबर 2022 को सेशन कोर्ट ने पीयूष को उम्रकैद की सजा सुनाकर फिर सलाखों के पीछे भेज दिया और अब हाईकोर्ट ने भी सजा पर मोहर लगाकर पीयूष को ताउम्र जेल में रहने का फरमान सुना दिया है।
षड़यंत्र में शामिल होने का सबूत नहीं
आपको बता दें कि कानपुर की ज्योति हत्याकांड में पीयूष समेत पांच दोषियों की सजा को माफ करने से जहां हाईकोर्ट ने इन्कार कर दिया वहीं सेशन कोर्ट द्वारा दोषी ठहराई गई मनीषा मखीजा के खिलाफ पर्याप्त सबूत न होने की बात कहते हुए उसकी दोषमुक्त का आदेश सुनाया। हाईकोर्ट ने माना कि मनीषा, पीयूष से अच्छी तरह परिचित थी, दोनों पड़ोसी थे, दोनों में कई बार फोन से बातचीत हुई। लेकिन इससे यह नहीं माना जा सकता कि पीयूष और अन्य अभियुक्तों के बीच हत्या के लिए रचे गए षड़यंत्र में भी मनीषा शामिल थी। मनीषा की पीयूष के अलावा अन्य अभियुक्तों से कोई बातचीत भी नहीं हुई।
डायरी में कुछ भी नहीं लिखा
हाईकोर्ट ने कहा कि पीयूष और मनीषा की कॉल डिटेल रिपोर्ट से यह साफ है कि दोनों अक्सर बातचीत करते थे, लेकिन मनीषा की पीयूष के अलावा अन्य अभियुक्तों से किसी तरह की बातचीत के कोई सबूत नहीं हैं। पुलिस ने ज्योति की ससुराल से बरामद डायरी और उसकी स्कूल डायरी की लिखावट की मिलान के लिए एफएसएल भेजा था और एफएसएल रिपोर्ट से लिखावट की मिलान भी हो गई थी। ज्योति की डायरी में लिखी बातों से यह तो साफ है कि वह अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं थी, लेकिन उसने पीयूष-मनीषा के अनैतिक संबंधों के बारे में डायरी में कुछ भी नहीं लिखा था।