पटना
बिहार भाजपा की नई बनने वाली प्रदेश कैबिनेट में पूर्व अध्यक्ष सम्राट चौधरी के कैबिनेट में सम्मिलित रहे कई प्रदेश उपाध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री, मंत्री और प्रवक्ताओं को दायित्व मुक्त करने की तैयारी है। नवाचार के पीछे लक्ष्य 2025 के विधानसभा चुनाव है। प्रदेश अध्यक्ष डा. दिलीप जायसवाल ने इस दिशा में काम शुरू कर दी है। संभवना है कि इस पहल के बाद सम्राट के कई सिपहसालार पार्टी संविधान के अनुसार एक व्यक्ति एक पद परंपरा को केंद्र में रखकर बाहर किए जा सकते हैं।पहल की आड़ में जिला स्तरीय कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति (बीस सूत्री) से लेकर बोर्ड, आयोग व निगम में जिले से लेकर प्रदेश पदाधिकारियों को बाहर करने की पटकथा लिखी जा रही है।
इन नेताओं को बाहर करने की तैयारी
ऐसे नेताओं में वर्तमान प्रदेश महामंत्री जगन्नाथ ठाकुर, राजेश वर्मा एवं ललन मंडल के नाम सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त दो प्रदेश महामंत्रियों मिथलेश तिवारी एवं शिवेश राम को पार्टी ने बक्सर एवं सासाराम से लोकसभा चुनाव लड़ाया था। वहीं, प्रदेश उपाध्यक्ष शीला प्रजापति को बाल संरक्षण आयोग में दायित्व संभाल रही हैं। एक प्रदेश उपाध्यक्ष डा. भीम सिंह राज्यसभा सदस्य मनोनीत हो चुके हैं।
जबकि एक प्रदेश प्रवक्ता अनामिका सिंह पटेल विधान पार्षद मनोनीत हो चुकीं हैं। वहीं, दूसरे प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिंह को बाल संरक्षण आयोग में सदस्य पद बनाया गया है। इनके अतिरिक्त सुग्रीव दास और अन्य कई कार्यकर्ताओं को दायित्व दिया गया है। ऐसे पद धारकों को पार्टी ने एक व्यक्ति एक पद संविधान के तहत किनारे कर नए कार्यकर्ताओं को आगे करने की रणनीति पर काम कर रही है। बिहार की राजनीति में अक्सर उथल-पुथल देखने को मिलती रहती है।
सवा चार सौ कार्यकर्ताओं को किया गया समायोजित
भाजपा ने जिले से लेकर प्रदेश स्तर पर अभी तक लगभग सवा चार सौ कार्यकर्ताओं को बीस सूत्री से लेकर बोर्ड, आयोग एवं निगम में विभिन्न पदों का दायित्व दिया है।
आगे भी समायोजन की प्रक्रिया फाइल में दौड़ रही है। शीघ्र ही इस पहल को पूरा करने की तैयारी है।
पार्टी की ओर से कार्यकर्ताओं के नाम की सूची विभिन्न स्तर पर सूचीबद्ध की जा रही है।
इससे पहले भाजपा के कई जिलाध्यक्षों को भी दायित्व दिया गया था। वर्तमान में औसतन 12 से 15 नेता/कार्यकर्ता/पार्टी पदाधिकारी बीस सूत्री में समायोजित हैं।