Ram Navami 2021:digi desk/BHN/ रामभक्त हनुमान चिरंजीवी है और मान्यता है कि वो आज भी तीनों लोकों में भ्रमण करते रहते हैं। यहां कहीं भी रामकथा का आयोजन होता है वहां पर वह उपस्थित भी होते हैं, लेकिन हनुमानजी को एक बार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम नें मृत्युदंड दे दिया था। जब सामान्य बाणों से हनुमानजी की मृत्यु नहीं हुई तो श्रीराम ने उनके ऊपर ब्रह्मास्त्र भी चलाया था। जब कभी कोई भक्त श्रीराम का नाम लेता है तो उसके मुख से पवनपुत्र हनुमान का भी निकलता है। श्रीराम भक्त की भक्ति हनुमान के स्मरण के बगैर अधूरी मानी जाती है, लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब श्रीराम की भक्ति में अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले हनुमान को उनके आराध्य श्रीराम ने मृत्युदंड दे दिया था। पौराणिक कथा के अनुसार जब श्रीराम अयोध्या के राजा बने तो नारद मुनि ने हनुमान जी से ऋषि विश्वामित्र को छोड़कर सभी ऋषि-मुनियों से मिलने को कहा। बजरंगबली ने महर्षि नारद की आज्ञा का पालन किया और विश्वामित्र को छोड़कर सभी संतों से भेंट की। महर्षि विश्वामित्र को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। महर्षि विश्वामित्र कभी महान राजा भी थे।
नारद जी ने विश्वामित्र को भड़काया
नारद मुनि इसके बाद महर्षि विश्वामित्र के पास गए और उनको हनुमानजी के खिलाफ भड़काया और बताया की कैसे हनुमान ने उनका अपमान किया है। विश्वामित्र को यह सुनकर हनुमानजी पर बेहद गुस्सा आया और उन्होंने श्रीराम से हनुमानजी को मृत्युदंड देने को कहा। महर्षि विश्वामित्र श्रीराम के गुरु थे इसलिए वह उनकी किसी भी बात को टाल नहीं सकते थे और उन्होंने गुरु आज्ञा का पालन करते हुए हनुमानजी को मृत्युदंड दे दिया।
श्रीराम नाम के जाप से हुई हनुमान की रक्षा
मृत्युदंड देने के पश्चात भगवान श्रीराम ने हनुमान जी पर बाण चलाए लेकिन हनुमानजी श्रीराम के नाम का जाप करते रहे, जिससे उनके ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ा। जह सामान्य बाण हनुमानजी का कुछ नहीं बिगाड़ पाए तो श्रीराम ने गुरु आज्ञा का पालन करने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया, लेकिन श्रीराम नाम के असर से ब्रह्मास्त्र भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाया। यह देखकर नारद मुनि को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने महर्षि विश्वामित्र के पास जाकर सच्चाई को बताया और उनसे माफी मांगी।