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Fire In Bsp: भिलाई इस्पात संयंत्र के रेल मिल में लगी भीषण आग, रेल पटरी उत्‍पादन प्रभावित

Fire In Bsp:digi desk/BHN/रायपुर/ भिलाई इस्पात संयंत्र के रेल मिल में भीषण आग लग गई। पुलपिट नंबर 1 में बुधवार की रात भीषण आग लगी। आग की वजह से रेल पटरी का उत्‍पादन प्रभावित हो गया है। आग लगने का प्रमुख कारण टनल की सफाई नहीं होने को बताया जा रहा है। रोलर्स का ग्रीस, तेल अन्य ज्‍वलनशील पदार्थ टनल में लगातार गिर रहा था। टनल के ऊपर लगभग 1100 से 1200 डिग्री तापमान में रेल पटरी की ढलाई हो रही थी। ढलाई के समय ही आग लगी।

बताया जा रहा है कि पूरा क्षेत्र काफी गर्म होता है। चिंगारी की वजह से आग तेजी से फैल गई। आग लगने से भगदड़ की स्थिति निर्मित हो गई। फायर ब्रिगेड को तत्काल सूचना दी गई, हालांकि पूर्व से वहां पर फायर ब्रिगेड की 2 गाड़ियां तैनात थीं। बावजूद इसके अन्य स्टेशन से भी फायर ब्रिगेड की गाड़ियों का मंगाया गया। आग पर काबू पाने के लिए एक घंटे तक दमकलकर्मी मशक्‍कत करते रहे। घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

प्रत्‍यक्षदर्शियों का कहना है कि 14 अप्रैल की रात लगभग 11:45 बजे आग लगी। देखते ही देखते आग पूरी तरह से फैल गई। आग इतनी भीषण थी कि सबसे पहले वह आग पुलपिट के नीचे रोलिंग स्टैंड के टनल से बढ़ती हुई दिखी और पूरी तरह से पुलपिट को अपनी चपेट में ले लिया। इसके बाद वहां के हाइड्रोलिक पाइप लाइन, इलेक्ट्रिकल केबल ओर पुलपिट पूरी तरह जलकर खाक हो गए।

जब तक फायर ब्रिगेड की टीम पहुंचती तब तक आग भीषण रूप ले चुकी थी। घंटों की मशक्कत के बाद आग पर तो काबू पा लिया गया, लेकिन बड़ा नुकसान हो गया। जानकारों के मुताबिक अभी काम चालू होने में कम से कम 3 से 4 दिन का समय लग सकते हैं।

आग लगने की ये भी वजह

रोलिंग एरिया में आग लगना एक सामान्य सी बात है, क्योंकि यहां पर 1100 सौ से 1200 डिग्री तापमान के ब्लूम को रोल किया जाता है। रोलर में वाटर पाइप लाइन लगी है, लेकिन इन सबके बाद भी रोलर से ग्रीस गिरता है। कई जगह हाइड्रोलिक पाइप लाइन लीकेज होती है। इस तरह से आग कई बार लगती है। लेकिन उसे तत्काल बुझा लिया जाता है।

मैनपावर की कम होना भी एक वजह है। इसके अलावा लगातार संयंत्र में करोना के मरीज बढ़ रहे हैं और लगातार मैन पावर की कमी हो रही है। प्रबंधन का दबाव यह रहता है कि किसी भी तरीके से काम को करना है और इस तरह का दबाव लगातार शिफ्ट मैनेजर ‌पर बनाया जाता है और वह दबाव आम कर्मचारियों पर भी बनाया जाता है।

इस तरह की दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है किसी भी तरीके से रोलिंग को जारी रखा जाए। अभी फिलहाल 52 केजी रेलों का आर्डर रेलवे की तरफ से आया है। 13 मीटर की रेल पटरी को लेकर प्रबंधन लगातार पिछले कुछ दिनों से दबाव बना रहा था कि किसी भी तरीके से इस आर्डर को पूरा किया जाना है।

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