- 12वीं कक्षा के छात्र ने मोबाइल की मांग को लेकर आत्महत्या कर ली
- छात्र ने अपने दोस्तों को बताया, “मैं जहर पी चुका हूँ, पापा को बता दो
- छात्र को अस्पताल ले जाया गया, इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई
बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां 12वीं कक्षा के छात्र भुवनेश्वर कुमार कोसरे ने मोबाइल फोन की मांग को लेकर आत्महत्या कर ली। यह घटना बालोद थाना क्षेत्र के ग्राम तरौद में घटी है, जहां भुवनेश्वर ने अपने परिवार से तुरंत नया मोबाइल दिलाने की गुहार लगाई थी। जब परिवार ने उसकी मांग को पूरा करने में थोड़ी देर की, तो उसने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने न केवल उसके परिवार को, बल्कि पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार, भुवनेश्वर कुमार कोसरे, जो कि राम कुमार कोसरे का पुत्र है, स्थानीय आत्मानंद स्कूल, बालोद में पढ़ता था। गुरुवार की रात लगभग 10 बजे भुवनेश्वर ने अपने पिता से मोबाइल खरीदने की ज़िद की। पिता ने उसे समझाते हुए कहा कि वे कुछ दिनों बाद नया मोबाइल खरीद देंगे। लेकिन भुवनेश्वर इस उत्तर से असंतुष्ट था और उसने अपने बड़े पिताजी को फोन कर धमकी दी कि यदि उसे मोबाइल नहीं मिला तो वह भाग जाएगा या खुद को मार लेगा।
दोस्तों से बोला, पिताजी को फोन लगाओ, मैंने जहर पी लिया
भुवनेश्वर के बड़े भाई ऋषि कुमार कोसरे ने पुलिस को जानकारी दी कि शुक्रवार की सुबह, भुवनेश्वर ने स्कूल ड्रेस पहनकर साइकिल से स्कूल जाने की तैयारी की। रास्ते में, गांव के नहर पुलिया के पास बैठा हुआ था। उसी समय उसके दोस्त वहां पहुंचे, और भुवनेश्वर ने कहा, “पिताजी को फोन लगाओ, मैंने जहर ले लिया है।” उसके दोस्तों ने तुरंत इस बात की सूचना भुवनेश्वर के पिता को दी।
भुवनेश्वर को फौरन बालोद के जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां से उसे धमतरी के डीसीएच अस्पताल रेफर किया गया। डॉक्टरों ने प्रयास किया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
इस घटना ने खड़े किए कई सवाल
इस घटना ने समाज में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। परिवार के सदस्य और दोस्त इस घटना को लेकर गहरे सदमे में हैं। यह घटना विशेष रूप से माता-पिता और शिक्षकों के लिए एक चेतावनी है कि बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना कितना आवश्यक है। तकनीकी उपकरणों और सामाजिक अपेक्षाओं के प्रभाव से बच्चों पर पड़ने वाले दबाव को समझना चाहिए।
माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करें और उनकी इच्छाओं और परेशानियों को सुनें। इस तरह की दुखद घटनाओं से बचने के लिए बच्चों को सही मार्गदर्शन और समर्थन देना अनिवार्य है। शिक्षा और तकनीक का सही संतुलन स्थापित करना बेहद जरूरी है, ताकि युवा पीढ़ी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ सके।